हरिद्वार। मेडिकल स्टोर संचालक पंकज खन्ना की हत्या के मामले में चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश रीना नेगी की अदालत ने तीन सेवानिवृत्त पुलिसकर्मियों समेत छह को कठोर उम्रकैद और दस-दस हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। इसी मामले में पुलिसकर्मियों ने सरकारी अभिलेखों में हेराफेरी की।
शासकीय अधिवक्ता नीरज गुप्ता ने बताया कि एक जून 1996 में विवेक खन्ना ने कनखल थाने पर एक रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया था कि वह और उनके बड़े भाई पंकज खन्ना रात पौने नौ बजे बंगाली हॉस्पिटल रोड स्थित खन्ना मेडिकल हॉल में बैठे थे। तभी वहां पांच व्यक्ति तमंचा और खुखरी लेकर आए।
उन्होंने पंकज खन्ना को दुकान से बाहर खींचा और गोली मारकर भाग गए। पंकज खन्ना को अस्पताल में डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था। इस मामले में पुलिस ने आरोपित अनिल को 26 जून 1996 को गिरफ्तार किया था। उसकी निशानदेही पर पर हत्या में प्रयुक्त तमंचा बरामद किया गया।
पुलिस ने पंकज खन्ना की हत्या करने के मामले में बिट्टू उर्फ मधुकर, अनिल और राजेश भारद्वाज, पिथौरागढ़ निवासी तत्कालीन थानाध्यक्ष कनखल व वर्तमान में सीओ कनखल एमआर दुगताल, बरेली निवासी तत्कालीन उपनिरीक्षक व निरीक्षक पद से सेवानिवृत्त नरेश चंद जौहरी और रायवाला(देहरादून) निवासी तत्कालीन कोर्ट मुहर्रिर व सेवानिवृत्त उप निरीक्षक राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ षडयंत्र रचकर हत्या करने का आरोपपत्र न्यायालय में दायर किया।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने सभी आरोपितों को दोषी पाया। अदालत ने तीनों पुलिसकर्मियों समेत छह को कठोर उम्रकैद की सजा सुनाई। न्यायालय ने तीनों पूर्व पुलिसकर्मियों को सरकारी दस्तावेज में हेराफेरी करने के मामले में भी दोषी पाया। हत्या व सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी के दोषी एमआर दुगताल उत्तर प्रदेश पुलिस से सीओ और नरेश चैधरी निरीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। वहीं, राजेंद्र प्रसाद उत्तराखंड पुलिस से उप निरीक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।