वीआईपी घाट पर किया गया बूटा सिंह का अस्थि विसर्जन

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हरिद्वार। वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं केंद्र सरकार में विभिन्न पदों पर रह चुके बूटा सिंह का हरिद्वार के वीआईपी घाट पर अस्थि विसर्जन किया गया। बूटा सिंह का 2 जनवरी को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था।

सोमवार को बूटा सिंह के बेटे सर्वजोत सिंह, बेटी गुरप्रीत कौर, दमाद रमन सिंह, कांग्रेस कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष दिनेश कुमार सुरेंद्र सैनी, राजेंद्र श्रमिक मुन्ना मास्टर, रमणीक सिंह गुरमीत सिंह वीरेंद्र शर्मा, सुरेंद्र तेजेश्वर, आत्मा राम बेनीवाल, वीरेंद्र, अशोक, संदीप, राजेश ठाकुर और राजेंद्र चोटिला समेत कई लोग हरिद्वार वीआईपी घाट पर मौजूद रहे। 

लंबे समय से बीमार थे बूटा सिंह

दलितों के मसीहा कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सरदार बूटा सिंह का 2 जनवरी को निधन हो गया था। 86 वर्षीय बूटा सिंह लंबे समय से बीमार थे।

पंजाब के जालंधर जिले के मुस्तफापुर गांव में 21 मार्च, 1934 को जन्मे सरदार बूटा सिंह 8 बार लोकसभा के लिए चुने गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बूटा सिंह के निधन पर शोक जताया है।

बूटा सिंह को दलितों का मसीहा कहा जाता था
नेहरू-गांधी परिवार के विश्वासपात्र रहे सरदार बूटा सिंह ने भारत सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री, कृषि मंत्री, रेल मंत्री, खेल मंत्री और अन्य कार्यभार के अलावा बिहार के राज्यपाल और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण विभागों का संचालन किया।

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ दलित नेता सरदार बूटा सिंह को दलितों का मसीहा कहा जाता था। जब कांग्रेस आपसी कलह और राष्ट्रीय राजनीति में जीवित रहने के लिए जूझ रही है, ऐसे में पार्टी के सबसे बड़े दलित नेता सरदार बूटा सिंह का जाना पार्टी के लिए एक बड़ी क्षति है। 

बता दें कि जब वर्ष 1977 में जनता लहर के चलते कांग्रेस पार्टी बुरी तरह से हार गई थी और इस कारण पार्टी विभाजित हो गई थी, तो सरदार बूटा सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी का साथ दिया था। पार्टी के एकमात्र राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कड़ी मेहनत करने के बाद पार्टी को 1980 में फिर से सत्ता में लाने के लिए उन्होंने अमूल्य योगदान दिया था।

 

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