शास्त्रार्थ के अधिकार पर संतों में बढ़ी तकरार, ज्योतिषपीठ की गद्दी को लेकर दूर नहीं हो रहा मतभेद

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अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

ज्योतिष पीठ की गद्दी को लेकर संतों में मतभेद दूर नहीं हो रहे हैं। शंकराचार्य एवं विद्वत परिषद और संन्यासी अखाड़ों के शंकराचार्य चयन के उधेड़बुन के बीच भूमा पीठाधीश्वर की एंट्री से संतों में तकरार बढ़ सकती है। भूमा पीठाधीश्वर ने शंकराचार्य परिषद पर सवाल उठाते हुए नोटिस भेजा है।

कहा है कि परिषद को शास्त्रार्थ करवाने और संन्यासी अखाड़ों को शंकराचार्य चयन करने का अधिकार नहीं है। वहीं, परिषद ने 13 नवंबर को वाराणसी में होने वाले शास्त्रार्थ के लिए आठ संतों को निमंत्रण पत्र भेज दिए हैं। ज्योतिष पीठ और द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद दोनों ही पीठ के शंकराचार्य की गद्दी को लेकर संतों में खींचतान है।

ज्योतिष पीठ पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और द्वारिका पीठ पर स्वामी सदानंद सरस्वती गद्दी संभाल चुके हैं। दोनों ही ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य हैं। इससे संन्यासी अखाड़ों, आश्रम और मठ-मंदिरों में मतभेद उभरकर सामने आ गए हैं। प्रमुख पांच संन्यासी अखाड़ों के संत स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य मानने को तैयार नहीं हैं। असंतुष्ट अखाड़ों के संतों का नेतृत्व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं श्री निरंजनी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी कर रहे हैं।

श्रीमहंत रविंद्रपुरी चाहते हैं ज्योतिष पीठ जोशीमठ में है। मठ से सबसे अधिक दीक्षा लेने वाले गिरी संप्रदाय के संत हैं। लिहाजा, गिरी संप्रदाय के संत को पीठ की गद्दी सौंपी जाए। इसके लिए उनकी उधेड़बुन चल रही है। शंकराचार्य परिषद, काशी विद्वत परिषद और अखिल भारतीय विद्वत परिषद भी बिना शास्त्रार्थ के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य मानने से इन्कार कर चुके हैं। इसके लिए तीनों परिषदों ने 13 नवंबर को शास्त्रार्थ के लिए आठ संतों को आमंत्रित किया है। इनमें स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के अलावा द्वारिका शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती, निरंजन पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद प्रमुख हैं।

विद्वत परिषद को भी नोटिस जारी करने की बात

स्वामी गोविंदानंद सरस्वती, काशी के स्वामी अमृतानंद सरस्वती, प्रयाग के दंडी संन्यासी निजानंद देवतीर्थ, बैंगलोर के दंडी संन्यासी स्वामी कृष्णानंद भारती और स्वामी वागीश स्वरूप ब्रह्मचारी को भी शास्त्रार्थ के लिए आमंत्रित किया है। शास्त्रार्थ आयोजन और संन्यासी अखाड़ों की बैठक से पहले भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्युत्यानंद तीर्थ की शुक्रवार को एंट्री हो गई है।

स्वामी अच्युत्यानंद तीर्थ ने शंकराचार्य परिषद, विद्वत परिषद और संन्यासी अखाड़ों पर सवाल उठाए हैं। कहा कि शंकराचार्य चयन का अधिकार इनमें किसी को नहीं है। उन्होंने शंकराचार्य परिषद अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप को नोटिस भेजा है। विद्वत परिषद को भी नोटिस जारी करने की बात कही है।

शंकराचार्य परिषद अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप को नोटिस भेजा है। पूछा है कि शंकराचार्य परिषद का गठन किस शंकराचार्य की स्वीकृति से हुआ है। परिषद को शंकराचार्य पद पर नियुक्त के लिए शास्त्रार्थ आयोजित करने का अधिकार किसने दिया है। कुछ लोग शंकराचार्य परंपरा को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। उनपर कानूनी कार्यवाही की जाएगी। – स्वामी अच्युत्यानंद तीर्थ, भूमा पीठाधीश्वर

13 नवंबर के शास्त्रार्थ के लिए आठ संतों को निमंत्रण भेजा गया है। काशी एवं अखिल भारतीय विद्वत परिषद के साथ मिलकर शंकराचार्य पद के लिए शास्त्रार्थ से योग्य संत का चयन करना है। चयनित संत का नाम सुप्रीम कोर्ट और अन्य दो पीठों के शंकराचार्य को भेजे जाएंगे। 17 नवंबर को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी होनी है। – स्वामी आंनद स्वरूप, अध्यक्ष शंकराचार्य परिषद

किसी भी परिषद के शास्त्रार्थ आयोजन की जानकारी नहीं है। न ही कोई निमंत्रण मिला है। स्वामी अविमुक्तेश्वरांनद खुद को शंकराचार्य मानें लेकिन संन्यासी अखाड़ों के संत स्वीकार नहीं करेंगे। 17 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। उसी के बाद संन्यासी अखाड़े कोई फैसला ले पाएंगे। भूमा पीठाधीश्वर के बयान पर कोई टिप्पणी नहीं करनी है। – श्रीमहंत रविंद्रपुरी, अध्यक्ष अखाड़ा परिषद (निरंजनी)

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