संजय और उसकी पत्नी पारूल ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि बच्चे की चाह उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा देगी। बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया को जाने बिना ही संजय ने अपनी परिचित आशा कार्यकत्री से बच्चा ले लिया जो उसने अपने पड़ोस से चुराया था।
संजय की अपर रोड पर कपड़े की दुकान है। उसने एक साल पहले ही तलाकशुदा पारूल से शादी की थी। पहले पति से भी उसे कोई संतान नहीं हुई थी। एक साल में जब संजय और पारूल को भी संतान नहीं हुई तो उन्होंने बच्चा गोद लेने की प्लानिंग की। संजय पहले किसी प्राइवेट अस्पताल में काम करता था।
वहां उसकी मुलाकात आशा कार्यकत्री रूबी से हुई थी। संजय ने बच्चा गोद लेने की इच्छा रूबी को बताई और ढाई लाख रुपये देने का लालच दिया। इसी लालच में रूबी ने अपनी साथी आंगनबाड़ी कार्यकत्री आशा से संपर्क किया और पड़ोसी महिलाओं के साथ मिलकर बच्चा उठा लिया।
संजय और पारुल ने हरिपुर कलां में कुछ दिन किराये के मकान में रहने वाली योजना बनाई थीं। योजना थी कि बच्चे को गोद लेने के बाद कागजी प्रक्रिया पूरी कर वापस श्यामपुर चले जाएंगे।
पुलिस को पडोस में ही रहने वाली किरन व अनिता पर शक था। डॉग स्क्वायड भी बार-बार उनके घर पर जा रहा था। जिससे पुलिस का शक और मजबूत हो गया। सभी संदिग्ध लोगों के मोबाइल नंबर व लोकेशन, संपर्क में आने वाले लोगों की जांच करने पर खोजबीन शुरू की गई।
डीआईजी गढ़वाल करण सिंह नगन्याल ने बच्चे को सकुशल बरामद कर आरोपियों को गिरफ्तार कर खुलासा करने वाली टीम को 30 हजार रुपये इनाम देने की घोषणा की। उन्होंने बच्चे को अपनी गोद में लेकर दुलार किया। कप्तान अजय सिंह ने भी बच्चे के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया।
ज्वालापुर से आठ माह के अपह्रत बच्चे को सकुशल बरामद करने पर महानगर व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष सुनील सेठी ने एसएसपी अजय सिंह और पूरी पुलिस टीम को बधाई दी।