स्वामी ललितानंद बने निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर

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हरिद्वार। श्रीपंचायती अखाड़ा निरंजनी के स्वामी ललितानंद गिरि महाराज का निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक किया गया। पंचपरमेश्वर की अध्यक्षता एवं आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि, अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज के सानिध्य में उनका पट्टाभिषेक हुआ। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज एवं सभी तेरह अखाड़ों के संतों ने तिलक चादर भेंटकर विधि-विधान से उन्हें निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर नियुक्त किया। स्वामी ललितानंद गिरि भारत माता मंदिर के संस्थापक ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रनंद गिरि महाराज के शिष्य हैं।

तपोनिधि श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी की छावनी में आयोजित पट्टाभिषेक समारोह में आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने कहा कि स्वामी ललितानंद गिरि विद्वान महापुरुष हैं। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के समाजोत्थान में योगदान करें। आनंद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि महाराज ने कहा कि स्वामी ललितानंद गिरी महाराज अखाड़े की परंपरा को आगे बढ़ाने का काम करेंगे। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने कहा कि स्वामी ललितानंद गिरि महाराज के महामंडडलेश्वर बनने से धर्म के प्रचार प्रसार में निरंजनी अखाड़े की भूमिका और बड़ी होगी। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के कुंभ मेला प्रभारी श्रीमहंत र¨वद्रपुरी महाराज ने कहा कि नवनियुक्त महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि अपनी वाणी और उपदेशों से समाज को धर्म के प्रति जागृत कर युवा संतों के प्रेरणा स्त्रोत बनेंगे। श्रीमहंत रामरातन गिरी महाराज ने कहा कि संतों का जीवन समाज को नई दिशा प्रदान कर समरसता का भाव जागृत करना होता है।

इस मौके पर पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के नवनियुक्त महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि महाराज ने कहा कि अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर और श्रीमहंतों की दी गई जिम्मेदारी का पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन किया जाएगा। श्रीजयराम पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि अखाड़ा परंपरा में योग्य संत को ही महामंडलेश्वर के पद पर आसीन किया जाता है। इस मौके पर महामंडलेश्वर माता संतोषी, श्रीमहंत मनीष भारती, श्रीमहंत केशवपुरी, श्रीमहंत नरेश गिरि, महंत व्यासमुनि, श्रीमहंत दिनेश गिरि, श्रीमहंत लखन गिरि, श्रीमहंत सत्य गिरि समेत बड़ी संख्या में संत मौजूद रहे।

 

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