हरिद्वारः कुंभ में होटल बुकिंग को लेकर असमंजस, 3000 से अधिक होटल कोविड केयर सेंटर के लिए चिह्नित

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हरिद्वार। हरिद्वार कुंभ को लेकर जारी की गई केंद्र सरकार की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) ने श्रद्धालुओं और हरिद्वार के होटल व्यवसायियों को असमंजस में डाल दिया है। हरिद्वार जिला प्रशासन ने केंद्र की एसओपी के अनुपालन में जिले के तीन हजार से अधिक होटलों को कोविड केयर सेंटर बनाने और होटलों में दस हजार बेड को चिह्नित किया है। आवश्यकता पड़ने पर 24 से 48 घंटे के नोटिस पर यह सभी होटल अधिग्रहित कर लिए जाएंगे। ऐसे में और होटल व्यवसायी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि वह कुंभ में हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं के लिए होटल की बुकिंग कराए या नहीं।

जिलाधिकारी सी. रविशंकर ने बताया कि 11 फरवरी को मौनी अमावस्या, 16 को वसंत पंचमी एवं 27 फरवरी को माघी पूर्णिमा के स्नान को लेकर तैयारी की जा रही है। कोविड केयर सेंटर के लिए आवश्यकता पडने पर नोटिस जारी कर होटलों का अधिग्रहण किया जाएगा। इस संबंध में संबंधित होटल स्वामियों को जानकारी दी जा रही है।

हरिद्वार होटल एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष आशुतोष शर्मा ने कहा कि उन्हें अभी तक प्रशासन की ओर से इसकी अधिकारिक जानकारी नहीं मिली है। ऐसे में वह सभी असमंजस में हैं। कहा कि इस मामले में होटल व्यवसायियों और प्रशासन के साथ वार्ता कर कोई ऐसा रास्ता निकाला जाएगा। जिससे प्रशासनिक व्यवस्था में कोई व्यवधान न आए और होटल व्यवसायियों और श्रद्धालुओं को कोई परेशानी या नुकसान न उठाना पड़े।

कुंभ के अस्थायी कार्यों की गति हो सकती है प्रभावित

केंद्र सरकार की एसओपी ने कुंभ मेला क्षेत्र में होने वाले अस्थायी प्रकृति के कार्यों की गति प्रभावित होने की आशंका खड़ी कर दी है। एसओपी में कोरोना संक्रमण को देखते हुए श्रद्धालुओं की संख्या सीमित रखते हुए मेला क्षेत्र में मठ-मंदिरों, धार्मिक संस्थाओं और आश्रम और अखाड़ों की छावनी, टेंट, पंडाल और कथा, प्रवचन पंडाल नहीं लगाए जाने की सख्त सलाह दी गई है। ऐसे में मेला अधिष्ठान मठ-मंदिरों, धार्मिक संस्थाओं और आश्रम-अखाड़ों की छावनी, टेंट, पंडाल और कथा-प्रवचन पंडाल लगाने के लिए अभी तक भूमि का आवंटन तक शुरू नहीं कर पाया है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि उत्तराखंड सरकार हरिद्वार कुंभ को सीमित रखने की तैयारी में है और कुंभ के लिए अप्रैल में नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा।

पिछले दिनों हुई राज्य मंत्री परिषद की बैठक में शामिल सभी सदस्यों ने इस बात पर सहमति भी जतायी थी। इसके बाद अस्थायी प्रकृति के कार्यों को लेकर संशय पैदा हो गया। अगर ऐसा हुआ तो कुंभ मेला क्षेत्र में करोड़ों की लागत से होने वाले अस्थायी प्रकृति के कार्य बेकार साबित हो जाएंगे। कुंभ मेला अधिष्ठान इसे लेकर असमंजस की स्थिति में दिखायी दे रहा है। मेलाधिकारी दीपक रावत का कहना है कि उनके स्तर से अपनी तैयारी की जा रही है, साथ ही प्रदेश सरकार से मेला क्षेत्र में भूमि आवंटन और उससे संबंधित कार्यों के लिए केंद्र सरकार की एसओपी और केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की सलाह के मद्देनजर नए सिरे से दिशा-निर्देश मांगे गए हैं। सरकार जैसे ही दिशा-निर्देश देती है, उसके अनुसार कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

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