हरिद्वार। संवाददाता। गंगा की स्वच्छता और अविरलता के लिए खनन पर रोक लगाने की मांग को लेकर मातृ सदन के एक और संत आत्मबलिदान की ओर अग्रसर है। 183 दिन से मातृसदन में अनशन कर रहे संत आत्मबोधानन्द ने 27 अप्रैल से जल का त्याग करने की घोषणा कर दी है। जिससे प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।
गंगा की खातिर अब मातृ सदन के दो संतो द्वारा आत्म बलिदान किया जा चुका है। गंगा में अवैध खनन को रोकने को लेकर मातृ सदन के संतो का अनशन और आंदोलन अनवरत जारी है। संत आत्मबोधानन्द बीते 183 दिन से अनशन पर है। लेकिन शासन प्रशासन ने उनकी सुध नहीं ली है अब जब उन्होने 27 से जल का भी त्याग करने की घोषणा कर दी है तो प्रशासन की नींद टूटी है। एसडीएम के नेतृत्व में मातृ सदन पहुंची पुलिस टीम ने आज आत्मबोधानन्द को समझाने बुझाने की कोशिश की। एसडीएम का कहना है कि अब तक वह चुनाव कार्यो में व्यस्त थे जैसे ही उन्हे उनके जल छोड़ने की खबर मिली तो वह यहां पहुंचे है।
उन्होने कहा कि संत आत्मबोधानन्द की मांगे शासन स्तर की है इसलिए उन्होने संत को भरोसा दिलाया है कि वह उनकी मांगों को शासन को प्रेषित करेंगी। लेकिन आत्मबोधानन्द अपना अनशन तोड़ने को तैयार नहीं है। ऐसी स्थिति में जैसे पहले भी होता रहा है पुलिस प्रशासन उन्हे जबरन अनशन से उठाकर अस्पताल में भर्ती भी करा सकता है। उधर मातृ सदन के प्रमुख संत का कहना है कि अगर अनशन कारी संत आत्मबोधानन्द को कुछ होता है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सीएम त्रिवेन्द्र सिंह सहित छह लोग जिम्मेदार होगें।