हरिद्वार। संवाददाता। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता सभी ग्रन्थों का सार है, साथ ही जीवन जीने की कला सिखाने का उपनिषद् है। गीता का नियमित अध्ययन करना चाहिए। युवावस्था में इस दिशा में सार्थक पहल करने के लिए प्रेरित करने वाला श्रीगीता का योगदान अतुलनीय है।
देसंविवि के मृत्युजंय सभागार में गीतामृत की विशेष कक्षा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता हमें निष्काम कर्म की प्रेरणा देता है। आजादी से पूर्व लोकमान्य तिलक ने गीता के कर्मयोग को जन-जन तक पहुँचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। श्री तिलक ने श्रीगीता के माध्यम लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आज जिस तरह युवापीढ़ी की विचारधारा में भटकाव है, ऐसे समय में युवाओं को श्रीगीता का अध्ययन, मनन कर तदनुसार जीने से जीवन सार्थक हो सकता है।
गीता से संबंधित कई पुस्तकों के लेखक डॉ पण्ड्या ने कहा कि मनुष्य कर्म के बिना रह नहीं सकता, कर्म तो उसे करना ही पड़ता है। परन्तु यदि निष्काम भाव से कर्म करे, तो वह सभी बंधन से मुक्त होकर श्रेष्ठ जीवन जी सकता है। इसके साथ ही उन्होंने मनुष्य जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिए कर्मयोग के सात आयाम बताया। पहला है आसक्ति का त्याग। उन्होंने कहा कि आसक्ति ही मनुष्य को भवबंधन में बांधती है, आसक्ति न हो तो कर्म के परिणाम नहीं बंधेगा। दूसरा है राग-द्वेष से मुक्ति। उन्होंने कहा कि अत्यधिक अपनत्व जोडऩा राग है और किसी को अपना दुश्मन मानना द्वेष है। इन दोनों से मुक्त होकर ही जीवन जीना चाहिए। तीसरे आयाम-कत्र्तापन का त्याग है। प्रत्येक कर्म भगवान को अर्पित करके करने से ही निष्काम कर्म की भावना विकसित होती है।
कुलाधिपति ने कहा कि चौथा आयाम सबके साथ समान भाव रखना है। पाँचवा है कर्म को कुशलतापूर्वक करना। छठवाँ भगवान को अर्पित कर सभी कर्म करना और अंतिम है कर्मफल का त्याग। यदि ये मनुष्य के जीवन में उतरें तो वह मनुष्य जीवन का लक्ष्य परमात्मा की प्राप्ति व आत्मज्ञान की प्राप्ति सभी को पूरा कर सकता है। जिस तरह से कबीर, रैदास, गोरा कुम्हार, नामदेव आदि संत महात्माओं ने किया। उन्होंने संपूर्ण जीवन कर्मयोग में बिताकर अपने जीवन के परमलक्ष्य को प्राप्त हुए। इस दौरान कुलपति श्री शरद पारधी, कुलसचिव श्री बलदाऊ देवांगन सहित समस्त विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर्स, विद्यार्थीगण एवं शांतिकुंज के अनेक कार्यकत्र्तागण उपस्थित रहे।