भारत माता मंदिर के संस्थापक शंकराचार्य महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी हुए ब्रह्मलीन

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हरिद्वार। भारत माता मंदिर के संस्थापक निवर्तमान शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज का मंगलवार की सुबह देहावसान हो गया। 90 वर्षीय स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी महाराज देश के वरिष्ठ संतों में गिने जाते थे।
आध्यात्म के प्रचार प्रसार के लिए उनकी सेवाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया था। वह राम मंदिर आंदोलन से भी काफी नजदीक से जुड़े हुए थे।

दिल्ली तक खलबली मच गई थी
पिछले साल नवंबर में उन्होंने राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर हरकी पैड़ी पर आमरण अनशन शुरू करने की चेतावनी दी थी। जिससे दिल्ली तक खलबली मच गई थी। सरकार के साथ ही कई संतों ने उन्हें हरिद्वार पहुंचकर आमरण अनशन न करने के लिए मनाने का भरसक प्रयास किया था।

जिस पर उन्होंने अपना अनशन टाल दिया था। स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी के अनुयायी दुनिया के कोने कोने में हैं। आश्रम के सूत्रों ने बताया कि उनकी पार्थिव देह को बुधवार की शाम चार बजे भारत माता मंदिर के दूसरे आश्रम जनहित ट्रस्ट के परिसर में समाधि दी जाएगी। उनकी अंतिम यात्रा में भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है।

देहरादून स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था
करीब 90 वर्षीय स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज पिछले काफी समय से अस्वस्थ चल रहे हैं। उन्हें पिछले दिनों देहरादून स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें लगातार वेंटिलेटर पर रखा गया था। इसके बाद भी स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं आया। उनके अनुयायी उन्हें अस्पताल से छुट्टी दिला कर हरिद्वार ले आए थे।

स्वास्थ्य स्थिर रहने की चलते स्वामी जी को उनकी इच्छा के अनुरूप हरिपुर कलां स्थित आश्रम में रखा गया। जयराम आश्रम के अधिष्ठाता भारत साधु समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, प्रवक्ता विवेकानंद सरस्वती, पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, देवानंद सरस्वती आदि उनकी कुशलक्षेम जानने पहुंचे थे।

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