हरिद्वार। संवाददाता। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वनाधिकार जनाधिकार आंदोलन के संयोजक किशोर उपाध्याय ने कहा कि मध्य हिमालय के लिये समग्र सतत् समावेशी विकास की नीति बनाई जाए क्योंकि आज हिमालयी अरण्यजनों को बचाने की बात कोई नहीं कर रहा, जिनका जीवन ही यह जंगल है।
हरिद्वार प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता करते हुए उन्होंने हरिद्वार महानगर से विभाष मिश्रा, हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा से जगपाल सैनी,रुड़की से गोपाल नारसन लक्सर से आनन्द उपाध्याय ,रानीपुर से अरुण चौहान को आंदोलन का संयोजक मनोनीत करने के साथ ही वनाधिकार आंदोलन 13 जिलों और 70 विधान सभा क्षेत्रों में इकाईयां गठित कर देवभूमि की युवा व महिला शक्ति को आंदोलन के साथ जोडने की बात कही। इस आंदोलन को सशक्त बनाने के लिये राष्ट्रीय स्तर आधार तैयार किया जा रहा है। प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए किशोर उपाध्याय ने कहा कि अभी गलत धारणा बलवती हो रही है कि लोग जंगली जानवरों, जंगलों आदि को बचाने की बात कर रहे हैं लेकिन उन अरण्यजनों को बचाने की बात कोई नहीं कर रहा जिनका जीवन ही यह जंगल थे। कहा कि वनाधिकार आंदोलन 13 जिलों और 70 विधान सभा क्षेत्रों में इकाईयां गठित कर देवभूमि की युवा व महिला शक्ति को आंदोलन के साथ जोड़ेगा। इस आंदोलन को सशक्त बनाने के लिये राष्ट्रीय स्तर संजमवितन तैयार किया जा रहा है।
कहा कि सभी उत्तराखण्ड वासियों को अरण्यजन गिरिजन घोषित कर केंद्र की सरकार में नौकरी में आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होने कहा कि पूर्व में हम वनों से लकड़ी, घांस लेते थे जिसकी एवज में आज हमें एक गैस सलेंडर व 100 यूनिट बिजली प्रति महीने फ्री दी जानी चाहिए एवं घर बनाने के लिए बजरी, पत्थर, लकड़ी मिलनी चाहिए। जब हमारा पानी दिल्ली की सरकार फ्री दे सकती है तो उत्तराखण्ड में भी फ्री पानी दिया जाना चाहिए। जंगली जानवरों बंदर,सुवर के द्वारा फसल नष्ट करने पर 1500 रु प्रति नाली फसल का सरकार को किसान को देना चाहिएए साथ ही जंगली जानवर द्वारा जान से मार देने या घायल कर देने पर सरकार 25 लाख रु परिवार को मुआवजा दे। वन अधिकार अधिनियम 2006 को तुरंत उत्तराखण्ड में लागू किया जाना चाहिए जिससे उत्तराखण्ड के लोगों को उनके हक-हकूक मिल सके।