कंपोजिट वल्नेरेबिलिटी इंडेक्सः मौसम के बदलाव का मुकाबला करने में हरिद्वार सबसे कमजोर

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हरिद्वार। मौसम में बदलाव के कारण पनपने वाली बीमारियों का मुकाबला कुंभनगरी न के बराबर कर पाएगी। इस मामले में प्रदेश के तेरह जिलों में हरिद्वार की स्थिति सबसे खराब पाई गई है। मौसम बदलाव के नकारात्मक प्रभाव के साथ तालमेल कायम करने की क्षमता (एडेप्टिव कैपेबिलिटी) के आधार पर भी प्रदेश में हरिद्वार जनपद तीसरे स्थान पर संवेदनशील पाया गया है।

वन विभाग ने मौसम बदलाव के हिसाब से समग्र संवेदनशीलता सूचकांक (कंपोजिट वल्नेरेबिलिटी इंडेक्स) तैयार किया है। इस सूचकांक में हरिद्वार प्रदेश के 13 जिलों में सबसे ऊपर है। अध्ययन के मुताबिक तापमान, बारिश आदि में परिवर्तन के कारण कई नई तरह की बीमारियां भी सामने आ रहीं हैं। शिशु मृत्यु दर से लेकर अन्य स्वास्थ्य सूचकांकों और जिले में स्वास्थ्य संबंधित सुविधाओं के आधार पर यह आकलन किया गया है। हरिद्वार के बाद प्रदेश में संवेदनशीलता के मामले में टिहरी दूसरे और पौड़ी तीसरे स्थान पर है। कुंभनगरी में पर्यटकों की आवाजाही प्रदेश में सबसे अधिक है, लिहाजा यह और चिंताजनक माना जा रहा है।

चिंताजनक बात यह भी है कि सामाजिक, आर्थिक, अतिवृष्टि, बाढ़, कृषि, उपलब्ध संसाधनों के समग्र मूल्यांकन के आधार पर भी कुंभनगरी अति संवेदनशील साबित हुई है। इसमें पहले नंबर पर टिहरी और दूसरे नंबर पर चंपावत है।
पहला राज्य, जिसने यह अध्ययन किया
वन विभाग के जलवायु परिवर्तन प्रकोष्ठ के मुताबिक उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने यह अध्ययन किया है। बाकी राज्यों की ओर से भी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसमें अभी अध्ययन जारी है और नए तथ्यों का समावेश भी इस अध्ययन में किया जा रहा है।

कंपोजिट वल्नेरेबिलिटी को हम समग्र रूप से उस क्षेत्र के समुदायों की तकलीफ के रूप में भी देख सकते हैं। टेड़ी पुलिया से हरिद्वार की ओर जाते हुए आपको कई ऐसे गांव मिल जाएंगे जो हाथियों के कारण परेशान हैं। वहां के लोग रात को सो तक नहीं पाते। ठीक इसी तरह हमने सामाजिक, आर्थिक, आपदा आदि के आधार पर यह अध्ययन किया कि प्रदेश में कौन से जिले मौसम बदलाव के कारण किस आधार पर तकलीफ उठाएंगे। रिपोर्ट से जाहिर है कि हरिद्वार में लोगों को इन तकलीफों का मुकाबला करने के लिए अधिक तैयार करना होगा। मतलब की इनकी एडेप्टिव कैपेबिलिटी का विकास करना होगा।
– आरएन झा, अपर प्रमुख वन संरक्षक, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन

कौन सा जिला किस श्रेणी में
अत्यधिक संवेदनशील – टिहरी और चंपावत
अति संवदेनशील – हरिद्वार, अल्मोड़ा, बागेश्वर
मध्यम – उत्तरकाशी, पौड़ी, ऊधमसिंह नगर और रुद्रप्रयाग
कम – पिथौरागढ़, चमोली
बहुत कम – देहरादून, नैनीताल

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