50 के दशक में वह अपने पिता पृथ्वीराज कपूर, भाई राज कपूर और शम्मी कपूर के साथ हरिद्वार आए। यहां कपूर परिवार के चारों सदस्यों ने अपनी टीम के स्थानीय चित्रा थियेटर में नाटक का मंचन भी किया। कपूर परिवार के तीर्थ पुरोहित शिव कुमार पालीवाल बताते हैं कि उस वक्त बही में उनका नाम बलबीरराज कपूर दर्ज कराया गया था। फिल्मी नाम शशि कपूर बाद में पड़ा।
हरिद्वार (संवाददाता) : बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता शशि कपूर का हरिद्वार से गहरा नाता रहा है। 50 के दशक में वह अपने पिता पृथ्वीराज कपूर, भाई राज कपूर और शम्मी कपूर के साथ हरिद्वार आए। यहां कपूर परिवार के चारों सदस्यों ने अपनी टीम के स्थानीय चित्रा थियेटर में नाटक का मंचन भी किया। कपूर परिवार के तीर्थ पुरोहित शिव कुमार पालीवाल बताते हैं कि उस वक्त बही में उनका नाम बलबीरराज कपूर दर्ज कराया गया था। फिल्मी नाम शशि कपूर बाद में पड़ा।
शशि कपूर को याद करते हुए पंडित पालीवाल बताते हैं कि उनका जन्म कोलकाता में हुआ था। पिता पृथ्वीराज की भांति शशि कपूर को प्रकृति से प्रेम था। वह जब भी हरिद्वार आते तो काफी देर गंगा के तट पर गुजारते। गंगा तट उन्हें आकर्षित करता था।
अक्सर रात में वह पानी में पैर डालकर बैठते थे। दिन में पहचाने जाने के कारण रात के वक्त गंगा तट पर पहुंचते। पालीवाल बताते हैं कि राम तेरी गंगा मैली फिल्म की शूटिंग के दौरान वह बड़े भाई राजकपूर के साथ हरिद्वार आए थे।
पालीवाल के अनुसार वर्ष 1972 तक कपूर परिवार का हरिद्वार आना-जाना लगा रहता था, लेकिन पृथ्वीराज के निधन के बाद इसमें कमी आई। तब 20 जून 1972 को वह पिता की अस्थियां विसर्जित करने भाई शम्मीकपृर के साथ यहां आए थे। उस वक्त वह काफी दुखी थे और हरिद्वार में कुछ दिन अकेले गुजारे। इसके बाद वह कभी कभार ही यहां आते।
बाद में राजकपूर के निधन के बाद वह केवल एक बार हरिद्वार आए। पालीवाल याद करते हैं कि शायद यह वर्ष 1992 था। पॉलीवाल ने बताया कि शशिकपूर कई मायनों में आचार-विचार, व्यवहार और कर्म में अपने पिता पृथ्वीराजकपूर की प्रतिकृति थे।