भारत से संबंध बिगाड़ने के बाद चीन ने नेपाल पर पकड़ मजबूत करनी शुरू की है। भारत की तवाघाट-लिपुलेख सड़क के जवाब में नेपाल सरकार ने दार्चुला-टिंकर कॉरिडोर तैयार करने की आखिरी बाधा पार कर ली है। नेपाल आर्मी ने करीब 87 किमी दुरुह इलाके का सर्वे महज 35 दिन में पूरा कर लिया है। अब नेपाल सरकार सामरिक महत्व के इस कॉरिडोर की विस्तृत डीपीआर बनाने की तैयारियों में जुटी है। ये सड़क नेपाल की ओर से वर्तमान में निर्माणाधीन महाकाली कॉरिडोर से जुड़ जाएगी। इस तरह नेपाल का सुदूर पश्चिम प्रांत चीन सीमा से सीधे जुड़ जाएगा।
नेपाल ने करीब चार साल पहले ब्रह्मदेव से करीब 424 किमी दूर महाकाली कॉरिडोर का निर्माण शुरू कराया था। इस कॉरिडोर में नेपाल के कंचनपुर, डडेलधुरा, बैतड़ी और दार्चुला जिले को जोड़ते हुए टू-लेन सड़क का खाका तैयार किया गया था। महाकाली कॉरिडोर में अलग-अलग टुकड़ों में करीब 291 किमी सड़क कट चुकी है। लेकिन दार्चुला के ब्यांस गांव की पालिका-दो से भज्यांग तक 87 किमी के दुरुह इलाके में चट्टानें, विषम भौगोलिक परिस्थितियों और हाड़कंपाने वाली ठंड की वजह से सड़क योजना पर आगे काम शुरू नहीं हो पाया था।
इधर, पिछले साल भारत ने तवाघाट से लिपुलेख तक सड़क तैयार कर दी थी। इसके बाद से नेपाल सरकार ने महाकाली कॉरिडोर के काम में तेजी दिखाई। लेकिन फिर भी इसका सर्वे नहीं हो पा रहा था, जिसे नेपाल सरकार ने अपनी सेना को सौंप दिया था। इसके तहत नेपाल आर्मी ने महज 35 दिन के भीतर इस दुरुह इलाके में सर्वे पूरा कर सड़क बनाने का रास्ता साफ कर दिया। नेपाल सरकार ने विस्तृत डीपीआर का जिम्मा जेवी कंपनी को दिया है। टिंकर सड़क योजना के प्रमुख अच्युत विलास पंत ने नेपाली मीडिया को बताया कि सर्वे कार्य पूरा कर लिया गया है। पंत के अनुसार, अब परामर्शदाता कंपनी इसकी विस्तृत डीपीआर बनाने में जुटी है।
कंचनपुर (नेपाल) वाणिज्य संघ के पूर्व उपाध्यक्ष माधव जोशी ने कहा, ‘नेपाल के ब्यांस गांव से भज्यांग तक दुरुह इलाके में सड़क निर्माण के लिए सर्वे पूरा हो गया है। ये सड़क भारत-नेपाल और चीन के बीच व्यापारिक गतिविधियों के लिहाज से बेहद अहम होगी। ये सड़क निर्माणाधीन महाकाली कॉरिडोर से भी लिंक की जाएगी।’
भारत की टीजे सड़क पर पंचेश्वर बांध का ब्रेक
भारत सरकार ने टनकपुर से जौलजीबी तक सामरिक महत्व की टीजे सड़क को 2016 में ही मंजूरी दे दी थी। यह सड़क पहले फेज में टनकपुर के ठुलीगाड़ से 46 किमी दूर रूपालीगाड़ तक ही बन रही है। उसके आगे सड़क निर्माण में प्रस्तावित पंचेश्वर बांध ने बाधा पैदा कर दी है। कुछ समय पहले प्रशासन ने आगे सड़क बनाने के लिए डीपीआर तैयार कर भारत सरकार को भेजी थी। लेकिन सरकार ने डूब क्षेत्र का हवाला देते हुए डीपीआर नामंजूर कर दिया था।
चीन को होगा ये फायदा
चंपावत के बनबासा के पास बन रहे ड्राइपोर्ट तक चीन की सीधी पकड़ होगी
काठमांडू को सड़क से जोड़ने की तैयारी। इससे नेपाल का प्रभाव बढ़ेगा
नेपाल में व्यापार बढ़ेगा। नेपाल की भारत पर निर्भरता कम होगी