बाड़ाहोती में फिर दिखे चीनी सैनिक, उत्तराखंड सरकार ने खुफिया एजेंसियों को किया चौकस

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उत्तराखंड के चमोली से लगे चीन सीमा क्षेत्र बाड़ाहोती क्षेत्र में चीनी सैनिकों की गतिविधियां देखी गई हैं। स्थानीय लोगों के हवाले से बताया जा रहा है कि बाड़ाहोती क्षेत्र में 40 से अधिक सैनिक पहुंचे थे, जबकि घोड़े में सवार कुछ सैनिक होतीगाड़ तक पहुंचे। कुछ देर वे यहां रुके। वहीं, चीन के सैनिकों की गतिविधियों की खबर लगते ही प्रदेश सरकार ने अपनी खुफिया एजेंसियों को चौकस कर दिया है।

सीमा क्षेत्र में पड़ोसी देश की गतिविधियों को देखते हुए खुफिया तंत्र सक्रिय हो गया है। चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया और पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चौहान ने मामले में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।

चीन की ओर से इससे पहले भी कई बार बाड़ाहोती क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की गई। स्थानीय लोगों के हवाले से  दावा किया गया है कि 15-16 जुलाई को बाड़ाहोती क्षेत्र में चीनी सैनिकों को देखा गया था। कुछ सैनिक घोड़े में सवार होकर होतीगाड तक पहुंच गए थे। वे कुछ देर यहां रुकने के बाद वापस लौट गए।

भारत की ओर से चीन सीमा क्षेत्र में सड़कों का विस्तार युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। जबकि मौसम साफ होने के दौरान चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए लगातार हवाई निरीक्षण भी किया जा रहा है।

पहले भी आ चुकी हैं नियंत्रण रेखा के अंदर तीन बार घुसपैठ की खबरें

अपर मुख्य सचिव गृह आनंद बर्द्धन के मुताबिक, उन्हें भी ऐसी जानकारी मिली है। इस संबंध में खुफिया एजेंसियों को इस बारे में बता दिया गया है। उन्हें चौकस किया गया है।

उत्तराखंड के बाड़ाहोती में वास्तविक नियंत्रण रेखा में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों की घुसपैठ की खबरें पहले भी आ चुकी है। वर्ष 2018 में ऐसी खबरें आई थीं कि छह अगस्त, 14 और 15 अगस्त को आईटीबीपी की चौकी के पास चीनी सैनिक दिखाई दिए। भारतीय सीमा में  घुस आए चीनी सैनिकों को आईटीबीपी के जवानों के कड़े विरोध के चलते कदम पीछे खींचने पड़े थे।

एक बार फिर बाड़ाहोती में चीन सैनिकों की हरकत की खबरें आई हैं। इस बारे में राज्य के अपर मुख्य सचिव गृह आनंद बर्द्धन ने कहा कि उनके पास इस संबंध अभी कोई अधिकृत सूचना नहीं है। लेकिन ऐसी खबरें उनके पास भी आई हैं। उन्होंने कहा कि खुफिया एजेंसियों को बता दिया गया है।

बॉर्डर को लेकर मुख्यमंत्री भी गंभीर
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी चीन और नेपाल की सीमा पर बसी आबादी की सुविधाओं को लेकर गंभीर हैं। पिछले दिनों उन्होंने नई दिल्ली में चीफ डिफेंस ऑफ स्टाफ जनरल बिपिन रावत से मुलाकात के दौरान सामारिक महत्व के लिहाज से बॉर्डर एरिया विकास कार्यों में तेजी लाने की आवश्यकता जताई थी। सुविधाओं और संसाधनों की कमी के चलते चीन और नेपाल की सीमा पर स्थित गांव तेजी से खाली हो रहे हैं।

लोकल इंटेलीजेंस को मजबूत करना चाहती है सेना
भारतीय सेना राज्य सरकार से यह अपेक्षा करती है कि वह सीमांत क्षेत्रों में अपनी लोकल इंटेलीजेंस को मजबूत करे। 24 जून को तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से सैन्य अधिकारी यह मसला उठा चुके हैं। सेंट्रल कमांड के जीओसी इंचार्ज ले. जनरल वाई डिमरी ने सीमांत क्षेत्रों में स्थानीय खुफिया तंत्र की मजबूती पर ध्यान देने की बात कही थी। उन्होंने सीमांत क्षेत्रों को जोड़ने वाली सड़कों के चौड़ीकरण का मुद्दा भी उठाया था।

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