नई दिल्ली (संवाददाता) : मोदी सरकार की सख्त विदेश नीति की चर्चा विदेशों में भी हो रही है. अमेरिकी संसद के सामने विदेश नीति खासकर चीनी मामलों पर नजर रखने वाले एक बड़े थिंक टैंक ने कहा है कि चीन के वन बेल्ट वन रोड (OBOR) परियोजना के खिलाफ मोदी ही दुनिया के एकलौते नेता हैं जो खड़े हुए. हाल में चीन के साथ डोकलाम में भी मोदी सरकार ने सख्त रुख दिखाया था और 73 दिन तक सैनिकों के आमने-सामने खड़े रहने के बाद शांतिपूर्वक दोनों सेनाएं पीछे हटी थीं.
अमेरिका के प्रतिष्ठित थिंक-टैंक हडसन इंस्टिट्यूट के सेंटर ऑन चाइनीज स्ट्रैटिजी के डायरेक्टर माइकल पिल्स्बरी ने अमेरिकी सांसदों के सामने चीन की चीन पर नीति और भारत की भूमिका के बारे में कई अहम बातें कहीं. गौरतलब है कि ये बयान अमेरिका के 700 बिलियन डॉलर के रक्षा बजट और उसमें भारत को बड़े रक्षा साझेदार के रूप में मान्यता देने की खबरों के बीच आई है. हाल ही में एशिया दौरे के दौरान मनीला में राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी की मुलाकात हुई थी. दोनों देशों ने आपसी साझेदारी को एशिया के लिए अहम बताया था तो ट्रंप ने भारत अमेरिका के महान लोकतंत्र होने के साथ-साथ विशाल सेना की जरूरत पर भी बल दिया था.
अमेरिका चुप मोदी मुखर
पिल्स्बरी ने कहा- हाल तक अमेरिका भी चीन के इस महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट पर चुप्पी साधे रहा. लेकिन मोदी और उनकी टीम चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के इस महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट के खिलाफ काफी मुखर रही है. हालांकि, इन्होंने कहा कि कुछ हद तक ऐसा इसलिए भी है क्योंकि चीन का यह प्रोजेक्ट भारतीय संप्रभुता का उल्लंघन करता है.
पेंटागन के इस पूर्व अधिकारी ने नई इंडो-पसिफिक स्ट्रैटिजी के लिए ट्रंप प्रशासन की तारीफ भी की. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में लोगों ने ट्रंप प्रशासन और खुद राष्ट्रपति द्वारा ‘मुक्त और खुले’ इंडो-पसिफिक इलाके बारे में 50 से अधिक बार सुना है. चीन इस कॉन्सेप्ट को लेकर हमलावर है और उसे यह बिल्कुल पसंद नहीं. हालांकि, मोदी और ट्रंप इंडो-पसिफिक स्ट्रैटिजी को लेकर गंभीर हैं.
मोदी सरकार की सख्त विदेश नीति की चर्चा विदेशों में भी हो रही है. अमेरिकी संसद के सामने विदेश नीति खासकर चीनी मामलों पर नजर रखने वाले एक बड़े थिंक टैंक ने कहा है कि चीन के वन बेल्ट वन रोड(OBOR) परियोजना के खिलाफ मोदी ही दुनिया के एकलौते नेता हैं जो खड़े हुए. हाल में चीन के साथ डोकलाम में भीमोदी सरकार ने सख्त रुख दिखाया था और 73 दिन तक सैनिकों के आमने-सामने खड़े रहने के बाद शांतिपूर्वक दोनों सेनाएं पीछे हटी थीं.
भारत अमेरिका का बड़ा रक्षा साझेदार
अमेरिका के प्रतिष्ठित थिंक-टैंक हडसन इंस्टिट्यूट के सेंटर ऑन चाइनीज स्ट्रैटिजी के डायरेक्टर माइकल पिल्स्बरी ने अमेरिकी सांसदों के सामने चीन की चीन पर नीति और भारत की भूमिका के बारे में कई अहम बातें कहीं. गौरतलब है कि ये बयान अमेरिका के 700 बिलियन डॉलर के रक्षा बजट और उसमें भारत को बड़े रक्षा साझेदार के रूप में मान्यता देने की खबरों के बीच आई है. हाल ही में एशिया दौरे के दौरान मनीला में राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी की मुलाकात हुई थी. दोनों देशों ने आपसी साझेदारी को एशिया के लिए अहम बताया था तो ट्रंप ने भारत अमेरिका के महान लोकतंत्र होने के साथ-साथ विशाल सेना की जरूरत पर भी बल दिया था.
अमेरिका चुप मोदी मुखर
पिल्स्बरी ने कहा- हाल तक अमेरिका भी चीन के इस महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट पर चुप्पी साधे रहा. लेकिन मोदी और उनकी टीम चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के इस महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट के खिलाफ काफी मुखर रही है. हालांकि, इन्होंने कहा कि कुछ हद तक ऐसा इसलिए भी है क्योंकि चीन का यह प्रोजेक्ट भारतीय संप्रभुता का उल्लंघन करता है.
इंडो-पसिफिक स्ट्रैटिजी के लिए ट्रंप प्रशासन की तारीफ
पेंटागन के इस पूर्व अधिकारी ने नई इंडो-पसिफिक स्ट्रैटिजी के लिए ट्रंप प्रशासन की तारीफ भी की. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में लोगों ने ट्रंप प्रशासन और खुद राष्ट्रपति द्वारा ‘मुक्त और खुले’ इंडो-पसिफिक इलाके बारे में 50 से अधिक बार सुना है. चीन इस कॉन्सेप्ट को लेकर हमलावर है और उसे यह बिल्कुल पसंद नहीं. हालांकि, मोदी और ट्रंप इंडो-पसिफिक स्ट्रैटिजी को लेकर गंभीर हैं.
क्या है चीन का OBOR
गौरतलब है कि चीन पाकिस्तान और क्षेत्र के कई देशों के साथ मिलकर वन बेल्ट वन रोड परियोजना पर काम कर रहा है. इस परियोजना के तहत पीओके, गिलगित बालटिस्तान के कुछ इलाकों को शामिल करने को लेकर भारत विरोध कर रहा है. चीन दावा करता है कि इस परियोजना से दुनिया के बड़े हिस्सों को आर्थिक गलियारे में जोड़ा जा सकेगा. चीन के तमाम दबाव के बावजूद भारत इसमें शामिल नहीं है. अमेरिका समेत तमाम बड़े पश्चिमी देश इससे दूरी बनाए हुए हैं. इसमें 50 बिलियन डॉलर का चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) भी शामिल है. यह कॉरिडोर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरना है. भारत ने इसपर आपत्ति जताई है.
गौरतलब है कि चीन पाकिस्तान और क्षेत्र के कई देशों के साथ मिलकर वन बेल्ट वन रोड परियोजना पर काम कर रहा है. इस परियोजना के तहत पीओके, गिलगित बालटिस्तान के कुछ इलाकों को शामिल करने को लेकर भारत विरोध कर रहा है. चीन दावा करता है कि इस परियोजना से दुनिया के बड़े हिस्सों को आर्थिक गलियारे में जोड़ा जा सकेगा. चीन के तमाम दबाव के बावजूद भारत इसमें शामिल नहीं है. अमेरिका समेत तमाम बड़े पश्चिमी देश इससे दूरी बनाए हुए हैं. इसमें 50 बिलियन डॉलर का चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (cpec) भी शामिल है. यह कॉरिडोर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरना है. भारत ने इसपर आपत्ति जताई है.