चम्पावत : हमारे बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि मौत अपने साथ कुछ न कुछ बहाना लेकर आती है। ठीक ऐसा ही चम्पावत हादसे में बसंती भट्ट और उसकी चार वर्षीय पुत्री दिव्यांशी के साथ हुआ। बसंती को चम्पावत से अपने माइके डांडा जाना था। लेकिन वाहन नहीं मिल पाने के कारण वह शाम को रोडवेज की बस से अपनी बच्ची के साथ सीधे टनकपुर चली गई। इस उम्मीद के साथ कि वहां से डांडा के लिए कोई न कोई वाहन मिल जाएगा। टनकपुर से बसंती को वाहन तो मिला लेकिन उसने उसके ससुराल पहुंचाने के बजाए यमलोक पहुंचा दिया।
हादसे में मारी गई 36 वर्षीय बसंती भट्ट पत्नी नारायण दत्त भट्ट प्राथमिक विद्यालय डांडा में शिक्षिका थीं। उनका ससुराल चम्पावत के जूप गांव में है। सोमवार को वह अपनी चार वर्षीय बेटी को लेकर मायके डांडा जा रही थीं। काफी इंतजार के बाद भी उन्हें डांडा के लिए वाहन नहीं मिल पाया। वह आल्टो कार से टनकपुर चली गई ताकि वहां से डांडा जा सके। विधि का विधान देखिए। बसंती भट्ट को टनकपुर से भी अपने मायके जाने के लिए कोई वाहन नहीं मिला। उसे पता चला कि डांडा से बारात टनकपुर आई है। उसने बारात के वाहन में जाने का निर्णय लिया।
शाम को छह बजे वह मैक्स संख्या-यूके 04,टीए- 4712 में बैठ गई जो कुछ घंटों बाद ही दुर्घटना ग्रस्त हो गया। जिसमें बारात में आए अन्य लोगों के साथ बसंती भट्ट और उसकी चार वर्षीय बेटी दिव्यांशी भट्ट भी काल कलवित हो गई। मृतका बंसती के पति नारायण दत्त भट्ट राजकीय इंटर कॉलेज धौन में शिक्षक हैं। इस घटना के बाद मृतका के घर और माइके में कोहराम मच गया है।