बागेश्वर : उत्तराखंड में विकास के वादे करने वाले नेतागण पहाड़ पर मूलभूत सुविधा तक नहीं दिला पाएं हैं। जरा सा मौसम खराब हुआ कि सड़कें दलदल बन जाती हैं। बुधवार को बारिश से सड़क पर हुए दलदल में चुनाव प्रचार वाहन फंस गया। ऐसा लग रहा मानो सड़क नेताजी से बदला ले रही हो, यदि सड़क बनावाई होती तो आज प्रचार वाहन न फंसता।
राज्य बनने के बाद यह पांचवा विधानसभा चुनाव है। इन 22 वर्षों में कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन क्षेत्र का विकास धरातल पर नहीं हो पाया। यहां की बदहाल सड़कें अब चुनाव प्रचार में रोड़ा बन रही हैं। चुनावी वर्ष होने के कारण सड़कें तो खुद गईं, लेकिन उनकी हालत नहीं सुधर पाई। अब कीचड़ से लथपथ सड़कों में प्रचार वाहन फंस रहे हैं। सबसे अधिक परेशानी पहाड़ पर बीमार लोगों के लिए होती है। दुर्गम में चिकित्सा की कोई अच्छी व्यवस्था नहीं है। गंभीर बीमारी क्या थोड़ी सी परेशानी में हल्द्वानी रेफर कर दिया जाता है। ऐसे में सड़कें बीमार व मरीजों की अलग से परीक्षा लेती हैं। कई बार मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देता है।
कपकोट क्षेत्र में स्थित नरगड़ा-जालेख मोटर मार्ग को देख कर इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि विकास के बड़े-बड़े दावे हो रहे हैं। लेकिन जमीनी हकीकत विकास के दावे को खोखला साबित कर रही है। इस मार्ग से गुजरने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वर्षाें से यह सड़क कीचड़ से लथपथ है। ग्रामीणों को पक्की सड़क की दरकार है। इसको लेकर स्थानीय लोगों ने हर बार सरकार और प्रशासन पर उपेक्षा का आरोप लगाया है। अब जब चुनाव का समय है तब नेताओं का क्षेत्र में प्रचार हो रहा है, जहां खुद उन्हें ऐसी सड़कों पर भारी फजीहत झेलनी पड़ रही है। कीचड़ सन चुकी इन सड़कों पर प्रत्याशियों की ही वाहनों के पहिये फंस रहे हैं और घंटों की मशक्कत के बाद गाड़ियां यहां से निकल रही हैं।