“परिवार प्रबोधन” द्वारा किया जा रहा परेशान परिवारों में नव उत्साह भरने का काम

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परिवार प्रबोधन और प्रादेशिक भाषा संवर्धन द्वारा परेशान परिवारों को नव उत्साह भरने का काम किया जा रहा है. लॉकडाउन की अवधि के दौरान परिवार प्रबोधन द्वारा दिल्ली में 5 अप्रैल को एक अनूठा कार्यक्रम किया गया.

कार्यक्रम का उद्देश्य लॉकडाउन की वजह से बुजुर्गों में आई उदासीनता और युवाओं में पैदा होने वाली नकारात्मकता को खत्म करना था. 05 अप्रैल को 11 बजे दिल्ली के 2150 परिवारों के 10125 सदस्यों ने एक साथ गायत्री मंत्र का जाप किया. महावीर स्वामी की आराधना की, जपुजी साहब का पाठ किया गया. इस दौरान 100 परिवारों ने हवन भी किया. इस अनूठे आयोजन में 3 लाख 13 हजार 875 गायत्री मंत्रों का जाप किया गया. परिवार प्रबोधन के इस कार्य से उन परिवारों में सकारात्मक शक्ति का संचार हुआ जो लॉकडाउन की वजह से तनाव और हताशा के माहौल में थे. दिल्ली प्रदेश परिवार प्रबोधन के संयोजक भगवान दास बताते हैं कि हमारा मुख्य उद्देश्य परिवारों में संस्कारों की स्थापना, राष्ट्रभक्ति की भावना का संचार, माता-पिता की सेवा, पारिवारिक मर्यादा की गरिमा और सनातन धर्म से जुड़े आध्यात्मिक मूल्यों का प्रसार करना है.

इस दौरान हम जिस भी परिवार के बीच जाते है तो उनसे आग्रह किया जाता है कि दिन में एक बार परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठें, अपनी-अपनी बातें कहें, अपने दिनभर के अनुभव को बताएं और अपने ईष्टदेव का स्मरण करने के बाद ही भोजन ग्रहण करें. इस दिनचर्या से परिवारों के बीच फैली नकारात्मकता खत्म होगी और हर परिवार में नई शक्ति और सकारात्मकता का संचार होगा जो राष्ट्र और समाज के लिए बहुत जरूरी है.

भगवान दास बताते हैं कि 11 अप्रैल कको रात 8 बजे दिल्ली के सवा लाख परिवारों के बीच श्री हनुमान चालिसा, जपुजी साहब का पाठ अथवा महावीर स्वामी जी की स्तुति का महाअभियान शुरू होगा. कार्यक्रम के बाद दिल्ली के सवा लाख परिवारों के सदस्य एक साथ कोरोना संक्रमण से देश की मुक्ति के लिए प्रार्थना करेंगे. इसके अतिरिक्त परिवार प्रबोधन के कार्यकर्ता उन परिवारों के बीच जा रहे हैं जो लॉकडाउन की वजह से चिंतित हैं और तनाव में है. ऐसे परिवारों के वरिष्ठ सदस्यों को सत्संग, प्रार्थना, गुरुवाणी, सुंदर कांड और दुर्गा स्तुति के अध्याय सुनाकर उनके अंदर सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति का संचार किया जा रहा है.

साथ ही परिवार प्रबोधन द्वारा राजधानी में प्रादेशिक भाषा के संवर्धन का काम भी किया जा रहा है. इस कार्य के दौरान दिल्ली में रहने वाले तेलगू, मराठी, तमिल, मलयालम, बंगाली, गुजराती और कन्नड़ भाषियों को उन्हीं की भाषा में राष्ट्रीय महापुरूषों के विचारों वाला साहित्य प्रदान किया जा रहा है. कोरोना संक्रमण के चलते दिल्ली में रहने वाले मराठी, गुजराती, बंगाली, तेगलू, तमिल, कन्नड़ और मलयाली परिवारों के लिए भोजन और राशन की व्यवस्था भी की गई. इस दौरान 16950 भोजन के पैकेट, 1482 परिवारों को राशन की किट, 240 परिवारों को सेनेटाइजर और 450 परिवारों को मॉस्क का वितरण किया गया.

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