उत्तराखंड की वादियों में बागेश्वर के जगदीश कुनियाल नाम है जो प्रकृति के प्रति पूरी तरह समर्पित हो गया। 40 सालों में अपनी बंजर जमीन पर मिश्रित वन उगा दिया। जिससे पानी के सूख चुके स्रोत जीवित हो गए। अब महिलाओं को ईंधन और चारे के लिए दस किलोमीटर दूर नहीं जाना पड़ता है। उन्होंने कई ऐसे वृक्ष उगाए जो केवल ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं।
बागेश्वर जनपद के गरुड़ क्षेत्र के सिरकोट गाव में रहने वाले जगदीश कुनियाल जब 18 वर्ष के थे तब से ही उनहोने अपने 800 नाली जमीन में चाय का बगीचा बना दिया ,और बांकी बची जमीन में अलग अलग किस्म के पेड़ लगाने शुरू कर दिए ।
पहले यहां कई जल स्त्रोत थे जो सब सुख चुके थे ।मगर जैसे जैसे जगदीश कुनियाल द्वारा लगाए पेड़ बड़े होते रहे ,बंजर जमीन में हरियाली लौट आयी , इसका सकारात्मक असर पानी पर भी पड़ा। जमीन की पानी को सोखने और भूमि के अंदर पानी पहुंचाने की क्षमता बढ़ी। परिणामतः सूखा हुआ स्रोत जीवित हो गया। और आज बारहो महीने यहां स्रोतों में पानी रहता है। जिसका उपयोग खेती सहित पीने के लिए किया जाता है