मुंबई। महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी ने कोशिशें और तेज कर दी हैं। साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर चर्चा के लिए तीनों दलों ने आज एक संयुक्त बैठक की। इस बैठक में तीनों पार्टियों के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण, एनसीपी नेता छगन भुजबल, नवाब मलिक और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे व अन्य नेता बैठक में मौजूद रहे।
बुधवार को कांग्रेस-एनसीपी के नेताओं ने बैठक की थी जिसमें सीएमपी पर ही चर्चा हुई थी। इस बैठक में कांग्रेस और एनसीपी के बड़े नेता शामिल थे। एनसीपी नेता अजित पवार भी इस बैठक का हिस्सा थे।
मुंबई में कांग्रेस-एनसीपी की बैठक में एनसीपी नेता जयंत पाटिल, अजित पवार, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, नवाब मलिक जबकि कांग्रेस की ओर से बालासाहेब थोराट, पृथ्वीराज चव्हाण, सुशील कुमार शिंदे, अशोक चव्हाण, माणिकराव ठाकरे शामिल हुए थे।
सरकार गठन पर गतिरोध
महाराष्ट्र में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के बाद से सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध के बीच मंगलवार शाम राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। इसके बाद राज्य विधानसभा निलंबित अवस्था में रहेगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की रिपोर्ट पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी।
राष्ट्रपति शासन से भाजपा को नुकसानः शाह
महाराष्ट्र के सियासी हालात पर चुप्पी तोड़ते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने शिवसेना पर हमला करते हुए कहा था कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगने से भाजपा का नुकसान हुआ। भाजपा नहीं चाहती कि मध्यावधि चुनाव हों। हम तो शिवसेना के साथ सरकार बनाने को तैयार थे, जनता के साथ विश्वासघात हमने नहीं किया।
अमित शाह ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के मुद्दे पर शिवसेना के रवैये पर भी सवाल उठाए। शाह ने कहा कि इससे पहले किसी भी राज्य में सरकार बनाने के लिए 18 दिन का समय नहीं दिया गया था। राज्यपाल ने विधानसभा का समय खत्म होने के बाद ही राजनीतिक दलों को बुलाया। न शिवसेना, न कांग्रेस और न ही एसीपी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया। अगर आज की तारीख में किसी के पास नंबर हैं तो वह राज्यपाल के पास जा सकता है।