देहरादून। संवाददाता। त्रिवेंद्र सरकार अब राज्य कर्मियों को भत्तों का तोहफा दे सकती है। नए भत्ते लागू होने से सरकारी खजाने पर तुरंत 100 करोड़ का भार बढ़ना तय है। इस वजह से अगस्त माह में सरकार इन भत्तों के बारे में निर्णय नहीं ले पाई। माना जा रहा है कि अब सितंबर माह में इस बारे में फैसला मुमकिन है।
बीते जनवरी माह से सातवें वेतनमान का लाभ ले चुके सरकारी कार्मिक अब नए भत्तों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। सातवां वेतनमान और वेतन विसंगति समिति इस संबंध में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप चुकी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक कदम उठाने में सरकार को काफी सोच विचार करना पड़ रहा है। दरअसल, राज्य पर वेतन-भत्ते मद पर खर्च का बोझ लगातार बढ़ रहा है।
सातवां वेतनमान लागू होने के बाद राज्य सरकार को हर माह ही वेतन देने में पसीने छूट रहे हैं। यही वजह है कि सातवें वेतन के मुताबिक भत्ते देने की राह में भी माली हालत अड़चन बनी हुई है। इस वजह से नए भत्तों को लेकर समिति की रिपोर्ट को अब तक मंत्रिमंडल की बैठक में नहीं रखा जा सका है। राज्य सरकार चालू वित्तीय वर्ष में बीते अप्रैल माह से अगस्त तक 1300 करोड़ रुपये बाजार से उधार ले चुकी है।
नए भत्ते देने के बारे में फैसला हुआ तो सितंबर में भी बाजार से उधार लेने को मजबूर होना तय है। वेतन समिति की रिपोर्ट में मकान किराया भत्ता, यात्रा भत्ता समेत विभिन्न महकमों और संवर्गों से जुड़े तकरीबन दो दर्जन से ज्यादा भत्तों को तय किया गया है। राज्य में दिए जा रहे अधिकतर भत्तों को केंद्र के समान ही रखने पर जोर दिया है। बहुप्रतीक्षित मकान किराया भत्ता (एचआरए) में एक्स-श्रेणी में उत्तराखंड का एक भी शहर नहीं है। लिहाजा इस श्रेणी में 24 फीसद भत्ते का पात्र कोई नहीं होगा। अलबत्ता वाई-श्रेणी में मिलने वाले 16 फीसद भत्ते के दायरे में भी सिर्फ एक ही शहर देहरादून है। उधर, इस संबंध में वित्त सचिव अमित नेगी का कहना है कि नए वेतन भत्तों के बारे में सरकार अपनी वित्तीय स्थिति देखते हुए फैसला करेगी।