देहरादून। संवाददाता। अब उत्तराखण्ड की जेलों में बंद कैदियों को परिजनों से बात करने के लिए फोन की सुविधा दी जाएगी। जिससें वो अपने परिजनों का हालचाल जान सकें। साथ ही इस पहल के बाद कैदियों को जेल की चार दिवारी का सूना पन कुछ हद तक कम महसूस होगा।
मामलें में जिला मजिस्ट्रेटों को भी प्रतिमाह जेल का निरीक्षण करना अनिवार्य होगा। प्रमुख सचिव कारागार एवं गृह आनंद वर्द्धन ने इन व्यवस्थाओं को लागू करने की दिशा में उचित कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
सोमवार को प्रमुख सचिव कारागार व गृह आनंद वर्द्धन ने कारागार विभाग की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने जेलों की व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए। उन्होंने जेलों में कैदियों को अपने परिजनों से बात करने के लिए फोन सुविधा मुहैया कराने के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए कैदियों को पहले अपने खाते में कुछ रकम जमा करनी होगी। इसके बाद ही उन्हें यह सुविधा मिल सकेगी।
उन्होंने इस दौरान विभागीय अधिकारियों को ई-जेल की दिशा में भी कदम उठाने के निर्देश दिए। इसके तहत परिजन कैदी से मिलने के लिए पहले ही ऑनलाइन अथवा कंप्यूटर के जरिए समय ले सकेंगे। खूंखार कैदियों से मुलाकात अब शीशे के पीछे से होगी। इसके लिए ऐसे कैदी फोन के जरिए ही सामने बैठे परिजन से बात कर सकेंगे। प्रमुख सचिव ने बैठक में जेलों में सीसी कैमरे लगाने, सभी जिलों में जेलों की स्थापना करने, रिक्त पदों को भरने और पैरोल के लिए नियमावली शीघ्र बनाने के निर्देश भी दिए।
प्रमुख सचिव आनंद वर्द्धन ने कहा कि जेलों में सुरक्षातंत्र मजबूत करने की दिशा में भी काम किया जाए, ताकि जेलों की सुरक्षा को लेकर मिलने वाली शिकायतों को दूर किया जा सके। इस दौरान उन्होंने जेलों में अवस्थापना सुविधाएं मजबूत करने के भी निर्देश जारी किए।