बागेश्वर। संवाददाता। बागेश्वर के द्यांगण क्षेत्र में आतंक का पर्याय बना तेंदुआ आखिकार गुरुवार को पिंजरे में कैद हो गया है। वन विभाग की टीम ने उसे रेस्क्यू कर लिया है। डाक्टरों की टीम के अनुसार तेंदुआ स्वस्थ्य है और उसे अल्मोड़ा चिड़ियाघर छोड़ा जा सकता है। वहीं, गांव के लोगों ने गुलदार के पकड़ने जाने पर राहत की सांस ली है।
द्यांगण गांव में एक सप्ताह पूर्व दीपा देवी पत्नी पूरन सिंह कठायत पर तेंदुए ने झपटने की कोशिश की और दीपा ने खुद को ही नहीं अपने बच्चों को भी बचा लिया। वन विभाग ने ग्रामीणों की डिमांड पर वहां पिंजरा लगाया और करीब एक सप्ताह की मशक्कत के बाद पिंजरे में कैद कर लिया गया है।
गुरुवार सुबह करीब चार बजे पिंजरे में फंसते ही वह दहाड़ने लगा और आसापास के लोग दहशत में आ गए। उन्होंने पिंजरे को हिलता हुआ देखा और सूचना तत्काल वन विभाग को दी। वन विभाग की टीम दलबल के साथ करीब पांच बजे गांव पहुंची। करीब तीन घंटे की मशक्कत के बाद पिंजरे को सड़क तक लाया गया और वहां से पिकअप में शिफ्ट कर उसे वन विभाग के अहाते में लाया गया।
पशु विभाग के डाक्टरों के टीम ने उसके स्वास्थ्य की जांच की और वह स्वस्थ्य पाया गया है। डाक्टरों के अनुसार उसकी उम्र करीब तीन से चार साल के बीच की है। पिंजरे में कैद तेंदुआ मादा है और उसे वन विभाग चिड़ियाघर छोड़ने की बात कर रहा है। टीम में भूपाल राम, केवल पांडे, त्रिलोक पांडे, दीवान सिंह, बलवंत सिंह आदि मौजूद थे।