केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण अधिनियम 1993 में संशोधन को दी मंजूरी

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नई दिल्ली (एजेंसीज) : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण अधिनियम 1993 में संशोधन को मंजूरी दे दी जिसे राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण (संशोधन) अधिनियम 2017 शीर्षक के तहत विधेयक के रूप में संसद में पेश किया जायेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय किया गया। इसके तहत राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षण परिषद (एनसीटीई) की अनुमति के बिना शिक्षक प्रशिक्षण पाठयक्रमों को संचालित करने वाले केन्द्र और राज्य विश्वविद्यालयों को मान्यता प्रदान करने का प्रावधान है।

इस संशोधन में एन.सी.टी.ई मान्यता के बिना शिक्षक प्रशिक्षण पाठयक्रम संचालित करने वाले केन्द्र राज्य शासित क्षेत्र के वित्तपोषित संस्थानों या विश्वविद्यालयों को अकादमिक सत्र 2017-2018 तक भूतलक्षी प्रभाव से मान्यता प्रदान करने का प्रावधान है। यह भूतलक्षी प्रभाव के मान्यता एकबारगी उपाय के रूप में दी जा रही है ताकि इन संस्थानों से उत्तीर्ण हुए या पंजीकृत छात्रों के भविष्य को खतरा न हो।

इस संशोधन से इन संस्थाओं या विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे या यहां से पहले ही पास हो चुके छात्र शिक्षक के रूप में रोजगार पाने के पात्र हो सकेंगे। यह संशोधन मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग लेकर आया है। शिक्षक प्रशिक्षण पाठयक्रम जैसे बीएड और डिप्लोमा इन इलेमेंट्री एजुकेशन शिक्षक प्रशिक्षण पाठयक्रम चलाने वाले सभी संस्थानों को एनसीटीई अधिनियम की धारा 14 के अन्तर्गत राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण परिषद से मान्यता लेनी होगी।

इसके अलावा, ऐसे मान्यता प्राप्त संस्थानों या विश्वविद्यालयों को एनसीटीई अधिनियम की धारा 15 के अन्तर्गत पाठयक्रमों की अनुमति प्राप्त करनी होगी। एनसीटीई ने सभी केन्द्रीय विश्वविद्यालयों और राज्य सरकारों या राज्य विश्वविद्यालयों या जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) को इस संबंध में लिखकर अवगत कराया है कि शिक्षक प्रशिक्षण पाठयक्रमों की शुरुआत करने के लिए पूर्व अनुमति प्राप्त करने का अनिवार्य कानूनी प्रावधान है।

उल्लेखनीय है कि एनसीटीई अधिनियम 1 जुलाई, 1995 को प्रभाव में आया था और जम्मू कश्मीर राज्य को छोड़कर यह देशभर में लागू है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य शिक्षक प्रशिक्षण प्रणाली की आयोजना और समन्वित विकास, प्रणाली, विनियमन की प्राप्ति का लक्ष्य एवं उक्त प्रणाली में मानदंडों एवं मानको का समुचित अनुरक्षण सुनिश्चित करना है। अधिनियम के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दष्टि से, शिक्षक प्रशिक्षण पाठयक्रमों को मान्यता देने के लिए इस अधिनियम में अलग से प्रावधान किए गए हैं।

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