शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों को परीक्षा के लिए नहीं भविष्य के लिए तैयार करना होना चाहिए-मुकुल कानिटकर

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विद्यार्थियों को परीक्षा के लिए नहीं भविष्य के लिए तैयार करना होगा. सिर्फ नौकरियों के लिए तैयार करना हमारा उद्देश्य नहीं होना चाहिए. हम विश्वगुरु है अपनी शिक्षा के बल पर उसे आगे तक बरकरार रखना होगा. हमारे ज्ञान का नतीजा है 21 जून को विश्व के 192 देश एक साथ योग करते है. सम्पूर्ण विश्व हमारी ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है.

नई दिल्ली(vsk) :  हमारे यहां पढ़ाने की पद्धति और प्रक्रिया उच्चतर शिक्षा में भी वैसे ही है जैसे उसके नीचे की कक्षाओं में है. सवाल यही है फिर उसे उच्चतर शिक्षा क्यों कहा जा रहा है? भारतीय शिक्षण मंडल मानता है शिक्षा का विभाजन नहीं होना चाहिए. देश में शिक्षा को लेकर एक साफ- साफ लक्ष्य होना चाहिए. हमें अपनी शिक्षा को गुरुकुल की तरह विद्यार्थी केन्द्रित करनी होगी तभी विश्व में हमारी पहचान बरकरार रहेगी. यह कहना है भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर का.

श्री कानिटकर आज यहाँ भारतीय जन संचार संस्थान में आयोजित युवा विमर्श के तीन दिवसीय सम्मेलन के दूसरे दिन लोगों को संबोधित कर रहे थे. वह ”रिफार्म ऑफ़ हायर एजुकेशन” विषय पर बोल रहे थे. भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा इसरो की पूरी व्यवस्था वैज्ञानिकों के हाथों में है. जिसका परिणाम उनके कार्य में भी दिखता है और सभी कार्य अच्छे से संचालित होते है. मंगलयान की सफलता उसका परिणाम है.

उन्होंने कहा शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह सरकारी तंत्र से मुक्त होनी चाहिए. अध्यापकों द्वारा ही शिक्षण संस्थानों का संचालन होना चाहिए. तभी सुखद परिणाम आएंगे. दो देशों का उदाहरण देते हुए श्री कानिटकर ने कहा साउथ कोरिया और फ़िनलैंड में विद्यार्थी केन्द्रित शिक्षा होती है, शिक्षक नहीं तय करता विद्यार्थी को क्या पढ़ाना है क्या नहीं. विद्यार्थी खुद तय करते है उन्हें क्या पढ़ना है क्या नहीं.

साउथ कोरिया में शिक्षक होना बड़ी बात मानी जाती है, वहां के लोग विदेशों में नौकरी करने की बजाय शिक्षक बनना अपनी प्राथमिकता में रखते है. वहां के शिक्षकों का वेतनमान देश में अन्य कर्मचारियों की तुलना में सर्वाधिक है जो उसके महत्ता को दर्शाता है. यही कारण है की छोटा देश होने के बावजूद उसकी शिक्षा का स्तर बेहद ही अच्छा है.

श्री कानिटकर ने कहा हमें विद्यार्थियों को परीक्षा के लिए नहीं भविष्य के लिए तैयार करना होगा. सिर्फ नौकरियों के लिए तैयार करना हमारा उद्देश्य नहीं होना चाहिए. हम विश्वगुरु है अपनी शिक्षा के बल पर उसे आगे तक बरकरार रखना होगा. हमारे ज्ञान का नतीजा है 21 जून को विश्व के 192 देश एक साथ योग करते है. सम्पूर्ण विश्व हमारी ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है. हमारे पास देने के लिए विश्व को बहुत कुछ है. उसके लिए जरूरी है अपनी शिक्षा व्यवस्था को मजबूत और विद्यार्थी केन्द्रित बनाने की.

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