सामाजिक परिवर्तन की गति बढ़ाना आवश्यक- सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत

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पुणे (विसंकेंद्र) : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत ने कहा कि संघ विचार के कार्य का प्रभाव सर्वदूर बढ़ रहा है। इस प्रभाव से परिवर्तन दिख रहा है। इस सामाजिक परिवर्तन की गति बढ़ाने का की आवश्यकता है। डॉ. मोहन भागवत यहाँ बालशिक्षण मंदिर के सभागृह में संघ विचारों से प्रेरित होकर काम करने वाले महाराष्ट्र के विभिन्न संस्थाओं और संगठनों के काम की समीक्षा, संगठनात्मक विकास, सेवा कार्यों की स्थिति, आगे के संकल्प आदि विषयों के बारे में चर्चा के लिए आयोजित समन्वय बैठक के समापन अवसर पर वे बोल रहे थे।

डॉ. भागवत ने  कहा कि संघ से समाज की अपेक्षा बढ़ रही है। बढ़ी हुई उम्मीदों के कारण राष्ट्रीय विचारों के सभी संगठनों की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि अपने परिवार और समाज में परिवार के प्रबोधन द्वारा ऐसे संस्कार होने चाहिए जिससे मौलिक राष्ट्र भावना की वृद्धि हो।

बैठक में महाराष्ट्र की संस्थाओं और संगठनों के प्रमुख प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इनमें अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख अनिरूद्ध देशपांडे, अ. भा. कार्यकारिणी सदस्य मधुभाई कुलकर्णी, डॉ. अशोक कुकडे, परिवार प्रबोधन प्रमुख रवींद्र जोशी, पश्चिम क्षेत्र संघचालक जयंतीभाई भाडेसिया, क्षेत्र कार्यवाह सुनीलभाई मेहता, विज्ञान भारती राष्ट्रीय संगठन मंत्री जयंतराव सहस्त्रबुद्धे, भारतीय मजदूर संघ के उदयराव पटवर्धन, राष्ट्र सेविका समिति की सुनीला सोवनी, वरिष्ठ फिल्म निदेशक राजदत्त, अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अॅड. दादासाहेब बेंद्रे, क्रीडा भारती के अखिल भारतीय महामंत्री राज चौधरी, विदर्भ प्रांत संघचालक दादाराव भडके, कोकण प्रांत संघचालक सतीश मोढ, देवगिरी प्रांत संघचालक, गंगाधर पवार, केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राजस्व मंत्री चंद्रकांतदादा पाटील, शिक्षा मंत्री विनोद तावडे, ग्राम विकास मंत्री पंकजा मुंडे, सहकारिता मंत्री सुभाष देशमुख, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रावसाहेब दानवे, वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे, सुरजितसिंह ठाकूर उपस्थित थे। प्रति वर्ष और विभिन्न शहरों में होनेवाली यह बैठक इस वर्ष पुणे में आयोजित की गई थी।

समाज में विशेष रूप से युवा वर्ग में रा. स्व. संघ की बढ़ती स्वीकार्यता, संघ कार्य का ग्राम स्तर तक विस्तार, संघ के विस्तार और सेवाकार्यों की की समीक्षा, विविध कार्यों और सेवा कार्यों में समर्पित भावना से काम करनेवाले कार्यकर्ताओं की बढ़ती संख्या, लक्षणीय संख्या में होनेवाले काम और सेवा कार्यों द्वारा समाज में अंत्योदय के कल्याण का विचार करते समय आनेवाली चुनौतियां, उन पर उपाय और आगे की यात्रा हेतु संकल्प इन तथा ऐसे अनेक विध पहलूओं पर बैठक में विस्तार से चर्चा की गई।

संघ प्रयासों की यशोगाथा
शाखा, स्वयंसेवक, संघ विचार से काम करनेवाली संस्था और  संगठनों के मिलकर महाराष्ट्र राज्य में तहसील स्तर तक 90 हजार से अधिक कार्यकर्ता कार्यरत है। जबकि उतने ही कार्यकर्ता ग्राम स्तर और शाखा स्तर तक काम कर रहे है। इन कार्यकर्ताओं के बल पर 2 हजार 359 गांवों में 4 हजार 955 सेवकार्य जारी है। इनमें जनजातीय समुदाय के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम, बारीपाडा और मेलघाट में बाम्बू केंद्र उपक्रम का जायजा लिया गया। साथ ही नक्सली गतिविधियां और विभिन्न समुदायों में धर्मांतरण के विषय में भी विस्तार से चर्चा हुई। 47 हजार से अधिक घुमंतु विमुक्त लोगों को राशन कार्ड तथा सरकारी योजना से 1 हजार परिवारों को घर दिलवाना, कच्चि बस्तियों पर पाठशालाओं का अभिनव प्रयोग; साथ ही राज्य में ग्रामविकास और अकाल स्थिति निवारण हेतु 175 गांवों में जन सहभागिता से जलसिंचाई और जल संवर्धन के सफलतापूर्वक चलाए गए उपक्रम; इन उपक्रमों के सकारात्मक परिणाम के रूप में अकालसदृश गांवों में टैंकर की संख्या 4 हजार 883 से 798 तक आई है।

इसके साथ ही राज्य में दो बड़ी नदियों का सफल पुनरूज्जीवन; राज्य में खेती विकास के लिए 50 गांवों में काम जारी है और खुदकुशी करनेवाले किसानों के परिवार की लड़कियों की शिक्षा और निवास की सुविधा की गई है।शिक्षा,समरसता, पर्यावरण, ग्रामविकास, परिवार प्रबोधन, कृषि और कृषि उपोत्पादन के लिए संघ और संघ विचारों के संस्था-संगठनों द्वारा जारी इन और ऐसे अनगिनत सफल प्रयासों के बारे में सरसंघचालक डॉ.मोहनजी भागवत ने संतुष्टी जताते हुए समाज के आखिरी घटक तक पहुंचने की आवश्यकता व्यक्त की।

उससे पूर्व शुक्रवार 10 और शनिवार 11 नवंबर को तलेगाँव में संघ की नियोजित बैठकों और कार्यक्रमों में उपस्थित रहते हुए डॉ. भागवत ने स्वयंसेवकों, कार्यकर्ताओं को मौलिक मार्गदर्शन किया। पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत कार्यवाह विनायकराव थोरात ने एक ज्ञापन के द्वारा यह जानकारी दी है।

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