बागेश्वर (संवाददाता) : नशा नहीं रोजगार दो, गैरसैंण राजधानी हो के नारे के साथ दिल्ली के छात्रनेता प्रवीण सिंह पैदल बागेश्वर पहुंचे। अधिवक्ताओं ने उनका समर्थन किया। उन्होंने जगह-जगह नुक्कड़ सभाएं की। उन्होंने कहा कि दिल्ली और देहरादून में कोई अंतर नहीं है।
तहसील में नुक्कड़ सभा में प्रवीण ने कहा कि वे 35 साल के हैं। बनारस के रहने वाले हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र हैं। आईएएस की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहाड़ तराई वालों को हवा, पानी और स्वच्छ पर्यावरण देते हैं। उनकी रक्षा करना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि पहाड़ के लोग और जंगल सभी के लिए अहसान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में होनी चाहिए। दिल्ली और देहरादून में कोई अंतर नहीं है। पहाड़ में बैठकर पहाड़ के लिए योजना बनानी होगी। जिससे पहाड़ में रोजगार होगा। पलायन रूकेगा। युवा पीढ़ी को रोजगार मिलेगा तो वह नशे से दूर होगा। उन्होंने कहा कि सरकार कहती है कि शराब से राजस्व मिलता है। शराब से जहां राजस्व मिल रहा है वहीं मानव जीवन के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
उन्होंने कहा कि उनका एक ही नारा है नशा नहीं रोजगार दो, राजधानी गैरसैंण दो। उनके साथ 75 साल के बुजुर्ग रामकृष्ण तिवारी भी पैदल चल रहे हैं। उत्तराखंड अधिवक्ता महासंघ के अध्यक्ष गोविंद भंडारी ने कहा कि अधिवक्ताओं का इस आंदोलन को समर्थन है। पदयात्रियों को जगह-जगह पर अधिवक्ता सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब उत्तराखंड के पहाड़ी गांवों की जमीनें दलालों को नहीं देने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य बने 17 साल हो गए हैं। लेकिन राजधानी गैरसैंण नहीं बन सकी है। इस मौके पर अर्जुन टम्टा, नवल किशोर भट्ट, प्रेम सिंह परिहार, उमेश कालाकोटी आदि मौजूद थे।