नई दिल्ली : खौफ से भरी आंखें। बात करते हुए कांपती आवाज। पाकिस्तान में रह रहे परिवार वालों के साथ अपनी भी चिंता। मजनूं का टीला स्थित गुरुद्वारे में कुछ इन्हीं हालातों से गुजरते मिले पाकिस्तान से आए सिख और हिंदू शरणार्थी। इनमें से कुछ लोगों का परिवार तो 24 घंटे पहले ही यहां पहुंचा है। वे पत्रकारों से बातचीत से बचने की कोशिश कर रहे थे।
ये लोग यह सोचकर अपना नाम बताने और चेहरा दिखाने को तैयार नहीं थे कि यहां कुछ बोला तो वहां पाकिस्तान में रह गए उनके परिजनों पर जुल्म ढाए जाएंगे। काफी कुरेदने पर शरणार्थियों का दर्द छलक आया। उन्होंने बताया कि इन दिनों उन लोगों पर पाकिस्तान में अत्याचार और निगरानी दोनों बढ़ गई है। अपहरण, दुष्कर्म, जबरन धर्म परिवर्तन और घर, जमीन पर कब्जे तो चल ही रहे हैं।
पाक में परिजनों पर रखी जा रही खुफिया नजर
शरणार्थियों ने बताया कि अब यहां नागरिक संशोधन कानून (सीएए) बनने के बाद उनपर खुफिया निगाहें भी रखी जा रही है। उनके पासपोर्ट और दस्तावेज तक जला दिए जा रहे हैं ताकि वह भारत न आ सकें। उनसे पूरा आश्वासन मांगा जा रहा है कि वे धार्मिक वीजा पर ही जा रहे हैं और पाकिस्तान लौट आएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वे भारत की धरती पर जैसे ही कदम रख रहे हैं, उन्हें लग रहा है जैसे किसी अंधेरे जेल से मुक्ति मिल गई हो। यहां चाहे जिस भी हालात में रहें पर आजाद फिजा में सांस तो ले सकेंगे। बातचीत में इन लोगों ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि उनको तत्काल नागरिकता दी जाए। साथ ही सीएए का विरोध कर रहे लोगों को इंसानियत के नाते उनके साथ सहानुभूति रखने की भावुक अपील भी की।
डीएसजीपीसी ने दी राहत
दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी (डीएसजीएमसी) के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा की मौजूदगी में पाकिस्तान से आए करीब 70 लोग यहां मौजूद थे। ये सभी शरणार्थियों के कैंप या सिग्नेचर ब्रिज के नीचे शरण लिए हुए हैं। बातचीत में इन्होंने कहा कि पाकिस्तान में उनके पास गुजर-बसर के लिए सब कुछ था, लेकिन अपनी इज्जत और जिंदगी बचाने के लिए उसे छोड़कर भारत आए हैं।
सिरसा ने गृहमंत्री अमित शाह से पाकिस्तान से अब भी आ रहे लोगों को तत्काल नागरिकता देने की व्यवस्था करने की मांग की। उन्होंने इन लोगों को आश्वस्त किया कि डीएसजीपीसी इनके बच्चों के पढ़ने की व्यवस्था करेगी। इसके लिए केंद्र सरकार से सकारात्मक बातचीत जारी है। इनमें सिंध प्रांत से आई युवती चार्टर्ड एकाउंटेट की छात्र हैं। इनकी छोटी बहन को अगवाकर उसका धर्म परिवर्तन करा दिया गया।
अंतिम संस्कार करने की भी इजाजत नहीं
वहीं, हिंदू शरणार्थी युवक सुखनंद ने बताया कि वहां उन लोगों को अपने रिश्तेदारों का अंतिम संस्कार करने की भी इजाजत नहीं है। अंतिम संस्कार करने पर उनके साथ मारपीट की जाती है और उनके घर भी तोड़ दिए जाते हैं। उन पर शव को कब्रिस्तान में दफनाने और धर्म परिवर्तन करने के लिए दबाव डाला जाता है।
करा दिया जाता है जबरन निकाह
सिंध से आए गुलाब ने कहा कि पाकिस्तान में मुस्लिमों और अन्य धर्म के लोगों के लिए अलग-अलग कानून है। मुस्लिम लड़कियों की निकाह के लिए शादी की उम्र 18 वर्ष तय है, लेकिन हमारी 13-14 साल की बच्चियों का अपहरण कर 40-50 साल के आदमी से उनका जबरन निकाह करा दिया जाता है और उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर किया जाता है। विरोध करने पर हमारे साथ मारपीट की जाती है। पुलिस और अदालतों से भी कोई मदद नहीं मिलती है।
पाकिस्तान से आई सिख बच्ची लाली ने कहा कि हम लोग तीर्थयात्रा के बहाने बड़ी मुश्किल से रात में ट्रकों पर सवार होकर अपने गांव से निकल सके। गांव वालों को यह पता लग जाए कि किसी हिंदू या सिख को भारतीय वीजा मिल गया है तो वह उस व्यक्ति का पासपोर्ट छीनकर जला देते हैं।