चमोली दूरस्थ घाटी के कानोल गाव के ग्रामीणों ने श्रमदान कर बनाया खेल मैदान. महिलाओं की सबसे ज्यादा भागीदारी!

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इन दिनों पूरे विश्व में टोकियो ओलंपिक खेलों की धूम है।हर कोई देश अपने खिलाड़ियों से यह उम्मीद लगा रहा है ,कि उसके देश के खिलाड़ी सार्वधिक पदक जीतकर लाए और देश का नाम रोशन करें।लेकिन इन सबके बीच हिमालय की तलहटी में बसे एक ऐसे गांव से सरकारों को आईने दिखाने वाली तस्वीर सामने आती है।जिसको देखकर खेल को बढ़ावा देने वाली सरकारों का सर शर्म से झुक जाना चाहिए।

दअरसल बात की जा रही है,सीमांत जनपद चमोली के दूरस्थ विकासखण्ड घाट के कनोल गांव की ,हिमालय की तलहटी में बसा कनोल गांव घाट क्षेत्र का अंतिम गांव है।ग्रामीणों के प्रयासों से गांव में इन दिनों बामुश्किल सडक तो पहुंच गई ,लेकिन नंदाकिनी नदी में अभी पुल न बनने से ग्रामीण पैदल ही आवाजाही करते है।गांव में अभी संचार की सुविधा भी उपलब्ध नही है।लेकिन इन दिनों कनोल गांव चर्चाओं में बना हुआ है।चर्चा में रहने की वजह ये है कि कनोल गांव के ग्रामीणों ने खुद ही श्रमदान कर अपने नैनिहालो के भविष्य को खेल में देखते हुए खेल मैदान का निर्माण शुरू कर दिया ,जोकि अब अंतिम पड़ाव पर है।हैरत की बात यह है कि खेल मैदान बनाने में पुरुषों से अधिक भागीदारी महिलाओ की है।

कनोल गांव की ग्राम प्रधान सरस्वती देवी बताती है कि बीते वर्षों आई आपदा से कनोल गांव के अधिकांश मकान भूस्खलन की चपेट में आ गए थे।जिसके बाद सरकार के द्वारा प्रभावित ग्रामीणों को गांव के पास ही भूमि देकर 70 से अधिक परिवारों को विस्थापित किया गया।यंहा बच्चो के लिए खेल मैदान बनवाने को लेकर कई बार युवा कल्याण विभाग से कहा गया लेकिन जब विभाग की ओर से कोई कार्यवाही नही की गई तो ग्रामीणों ने खुद श्रमदान से खेल मैदान बनाने की ठानी और अब मैदान तैयार भी हो चुका है।मैदान में बॉलीबाल, बैडमिन्टन ,कबड्डी,खो खो जैसे खेल खेले जा सकते है।जिससे बच्चों का शारीरिक विकास भी होगा।

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