- मुक्तेश्वर में स्थापित राडार 100 किमी के दायरे में 360 डिग्री एंगल पर कार्य करेगा। यह हिमालय समेत चारों दिशाओं के मौसम पर नजर रख सकेगा। इससे हवा की गति व दिशा, तापमान व आद्र्रता की महत्वपूर्ण जानकारी मिलती रहेगी।
- प्रदेश का यह पहला राडार है। इसके अलावा गढ़वाल मंडल के पौड़ी व टिहरी जिले में भी एक-एक डॉप्लर राडार स्थापित किया जाना है। मुक्तेश्वर में राडार लग जाने से कुमाऊं क्षेत्र के मौसम की सटीक जानकारी मिलने लगेगी।
नैनीताल : मौसम की सटीक जानकारी के लिए लम्बे समय से उत्तराखंड में डॉप्लर राडार लगाये जाने की चर्चा थी. अंतत: नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर में उत्तराखंड पहला डॉप्लर राडार स्थापित कर दिया गया. बताया गया है कि तकनीकी कमी पेशी पुरी होते ही जुलाई अंत से पहले यह राडार काम करना शुरू कर देगा।
इस डॉप्लर राडार की स्थापना के बाद बादल फटना, तूफान या फिर बारिश होने का सटीक पूर्वानुमान देने में अब उत्तराखंड का मौसम विभाग भी सक्षम होगा। इन घटनाओं की जानकारी विभाग को तीन घंटे पहले ही पता चल जाएगी।
अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित डॉप्लर राडार मुक्तेश्वर के शीतोष्ण बागवानी संस्थान में स्थापित किया गया है। इस राडार की खासियत यह है कि बादलों के फटने जैसी घटनाओं के होने से पहले ही मौसम विभाग को जानकारी मिल जाएगी। बारिश, तूफान या अंधड़ के साथ तेज हवाओं के यहां पहुंचने से पहले ही जानकारी मिल जाने से जरूर एहतियात बरतना भी आसान हो जाएगा।
राज्य मौसम निदेशक डॉ. विक्रम सिंह ने बताया कि राडार की अंतिम टेस्टिंग का कार्य होना है। राडार स्थापना कार्य हैदराबाद की कंपनी आस्ट्रा माईक्रोवेब द्वारा किया गया है। मौसम की जानकारी के लिहाज से हिमालय क्षेत्र में इस राडार की सख्त जरूरत थी।
सौ किमी की जानकारी मिलेगी राडार से
मुक्तेश्वर में स्थापित राडार 100 किमी के दायरे में 360 डिग्री एंगल पर कार्य करेगा। यह हिमालय समेत चारों दिशाओं के मौसम पर नजर रख सकेगा। इससे हवा की गति व दिशा, तापमान व आद्र्रता की महत्वपूर्ण जानकारी मिलती रहेगी।
यह पहला राडार, पौड़ी व टिहरी में भी लगेंगे
प्रदेश का यह पहला राडार है। इसके अलावा गढ़वाल मंडल के पौड़ी व टिहरी जिले में भी एक-एक डॉप्लर राडार स्थापित किया जाना है। मुक्तेश्वर में राडार लग जाने से कुमाऊं क्षेत्र के मौसम की सटीक जानकारी मिलने लगेगी।
दस करोड़ का है यह राडार
डॉप्लर राडार को स्थापित करने में दस करोड़ रूपये की लागत आई है। जिसमें अत्याधुनिक उपकरणों समेत भवन आदि का खर्च भी शामिल हैं। टेस्टिंग कार्य पूर्ण होते ही राडार से डाटा मिलना शुरू हो जाएगा।