अब मरीज को बेवजह रेफर नहीं कर सकेंगे जूनियर डाक्टर, नए प्राचार्य ने जारी किए दिशा-निर्देश

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हल्द्वानी : डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में मरीजों को रेफर करना आम समस्या बन गई थी। इमरजेंसी से जूनियर डाक्टर ही रेफर करने लगे। नए प्राचार्य ने ज्वाइन करते ही इस तरह की हरकत पर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि अब सीनियर डाक्टरों की अनुमति पर ही मरीजों को रेफर करना होगा।

राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अरुण जोशी ने बताया कि इमरजेंसी से बिना कारण मरीजों को रेफर करने की परंपरा को खत्म किया जाएगा। इसके लिए निर्देश भी जारी कर दिए हैं। उनका कहना है कि जूनियर डाक्टर मरीज को देखेंगे और फिर सीनियर डाक्टर से चर्चा करेंगे। सीनियर डाक्टर ही मरीज के बारे में परामर्श देंगे। उनके परामर्श के बाद ही मरीज को रेफर करना होगा। साथ ही ओपीडी पर्चे पर मरीज को रेफर करने का स्पष्ट कारण भी लिखना होगा। इससे अब मरीजों को अनावश्‍यक परेशानी नहीं होगी।

कमीशनखोरी भी है बड़ा कारण

एसटीएच की इमरजेंसी में दूर-दराज से मरीज पहुंचते हैं। अधिकांश मरीजों का इलाज अस्पताल में संभव होता है। फिर भी इमरजेंसी में कुछ निजी अस्पतालों के दलाल सक्रिय हो जाते हैं। मरीज को निजी अस्पताल में चलने का दबाव बनाते हैं। तीमारदारों को एसटीएच में इलाज को लेकर इतना अधिक हतोत्साहित कर देते हैं कि मजबूर होकर तीमारदार अपने मरीज को रेफर करवा देते हैं। इसके बार मरीज निजी अस्पताल में महंगा इलाज कराने को मजबूर रहता है।

जूनियर डाक्टर भी समझते हैं काम का दबाव

कई बार जूनियर डाक्टर भी इमरजेंसी से मरीज को इसलिए रेफर कर देते हैं कि ताकि उन्हें वार्ड में अधिक काम न करना पड़े। जूनियर डाक्टरों की इस तरह की स्थिति से इमरजेंसी में तीमारदार व डाक्टरों के बीच टकराव की नौबत आ जाती है। इस तरह की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए प्राचार्य ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है।

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