नैनीताल। जिस पल का वैज्ञानिकों सहित खगोल प्रेमियों को लंबे समय से इंतजार था, वह घड़ी आखिर आ ही गई है, लेकिन इस बार पूरे 397 वर्षों के अंतराल के बाद यह दुर्लभ घटना होने जा रही है। आकाश में दो ग्रह शनि और बृहस्पति बहुत ज्यादा नजदीक नजर आएंगे और खास बात यह है कि इन्हें टेलीस्कोप की मदद के बिना भी देखा जा सकेगा। क्रिसमस के दौरान होने जा रही इन ग्रहों की युति को वैज्ञानिकों ने क्रिसमस स्टार नाम दिया है। इसके बाद ये दोनों ग्रह 15 मार्च 2080 को इतने निकट आएंगे।
21 दिसंबर को साल की सबसे लंबी रात होती है। इसी रात यह दुर्लभ नजारा दिखेगा। दिन छोटा होने और अंधेरा जल्दी होने के कारण यह घटना बहुत ही स्पष्ट नजर आएगी। वैसे तो हर 20 साल में बृहस्पति और शनि करीब आते हैं लेकिन इतने नजदीक नहीं आते जितने इस बार आएंगे। इस बार इन ग्रहों के बीच की दूरी सिर्फ 0.1 डिग्री रहेगी। ऐसा 397 वर्ष पूर्व 1623 में हुआ था, जब ये ग्रह इतने नजदीक आए थे, लेकिन तत्कालीन आकाशीय स्थिति के कारण यह घटना इतनी अधिक दर्शनीय नहीं बन पाई थी। 1226 में ये दोनों ग्रह इतने पास आए थे, उसके 794 वर्ष बाद इस बार ये ग्रह इतने निकट और दर्शनीय भी होंगे।
बृहस्पति 11.86 साल में सूरज की परिक्रमा करता है। शनि को करीब 29.5 साल सूर्य की परिक्रमा करने में लगते हैं। हर बार 19.6 साल में ये दोनों ग्रह करीब आते हैं, जिन्हें आसमान में आसानी से देखा जा सकता है। इस घटना को कंजक्शन कहा जाता है, लेकिन इस बार इनके बीच का कोण बहुत कम होने के कारण इनके बीच की आभासी दूरी बहुत कम नजर आएगी। हालांकि, इनके बीच की वास्तविक दूरी 73 करोड़ किमी होगी।
दोनों ग्रहों के बीच की कोणीय दूरी पिछले महीने से घटनी शुरू हो गई थी और अब लगभग एक महीने तक ये काफी निकट प्रतीत होते रहेंगे। इस दौरान इन्हें नंगी आंखों से भी देखा जा सकेगा, लेकिन एक सामान्य दूरबीन या टेलीस्कोप से बृहस्पति के चार चंद्रमा भी इसकी परिक्रमा करते देखे जा सकेंगे। आर्य भट्ट शोध एवं प्रेक्षण विज्ञान संस्थान, एरीज के वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे ने बताया कि पिछला सामान्य कंजक्शन 2000 में हुआ था। अगला कंजक्शन 5 नवंबर 2040 को होगा, जबकि अगला ग्रेट कंजक्शन 15 मार्च 2080 को पड़ेगा।
प्रकृति और अंतरिक्ष में चमत्कारिक, अविश्वसनीय घटनाएं होती रहती हैं। इस बार भी ऐसा ही होने जा रहा। जिन ग्रहों शनि और बृहस्पति को 397 वर्ष बाद ‘सर्वाधिक निकट’ बताया जा रहा है, दरअसल वे इस रोज आपस में अपनी औसत दूरी 64 करोड़ किलोमीटर से कहीं ज्यादा लगभग 73 करोड़ किमी दूर होंगे। इसके बावजूद वे इतने ज्यादा निकट इसलिए नजर आएंगे, क्योंकि वे एक दूसरे के पीछे होंगे और पृथ्वी से देखने पर एक सीधी रेखा में होने के कारण उनके बीच ज्यादा दूरी के बावजूद का कोण कम होगा, जिससे वे निकट प्रतीत होंगे।