नैनीताल। नैनीताल हाईकोर्ट ने सचिवालय और उत्तराखंड लोक सेवा आयोग में एडिशनल प्राइवेट सेक्रेटरी पदों के लिए आठ अक्तूबर को होने वाली मुख्य परीक्षा में याचिकाकर्ताओं को भी शामिल करने के निर्देश राज्य लोक सेवा आयोग को दिए हैं।
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इस भर्ती परीक्षा का परिणाम कोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन रहेगा। न्यायालय ने यह भी कहा कि आयोग ने जिन अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी है, उनके कम्प्यूटर कोर्स के सर्टिफिकेट की प्रतियां कोर्ट में पेश की जाएं। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तिथि नियत की है।
न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। चमोली निवासी जितेंद्र लेसियाल और 23 अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने एडिशनल प्राइवेट सेक्रेटरी के पदों को भरने के लिए जुलाई 2017 में विज्ञापन निकाला था। इन पदों के लिए स्नातक और मान्यता प्राप्त संस्थान से कम्प्यूटर में एक वर्ष का कोर्स सर्टिफिकेट अनिवार्य था।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने भी इन पदों के लिए आवेदन किया था और वे प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण भी हुए थे लेकिन उन्हें मुख्य परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया जा रहा, जिसका कारण उनका कम्प्यूटर कोर्स सर्टिफिकेट मान्यता प्राप्त संस्थान से न होना बताया गया है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार ने राज्य लोक सेवा आयोग को 2018 में पत्र भेजकर बताया था कि राज्य में हिल्ट्रान को छोड़कर अन्य कोई भी मान्यता प्राप्त संस्थान नहीं है, जो यह सर्टिफिकेट कोर्स करवाता हो। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यदि राज्य में कम्प्यूटर कोर्स करवाने का कोई मान्यता प्राप्त संस्थान है ही नहीं तो सरकार ने उक्त पदों के लिए यह अनिवार्यता क्यों रखी? याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उनके साथ पक्षपात हुआ है। पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने राज्य लोक आयोग को याचिकाकर्ताओं को मुख्य परीक्षा में शामिल करने की अनुमति देने के निर्देश दिए हैं।