नैनीताल : नैनीताल जिले में आई आपदा में हुए भारी नुकसान के बाद अब आपदा मानक प्रभावितों के जख्मों पर नमक छिड़क रहे हैं। प्रदेश में 2015 के आपदा मानकों के अनुसार क्षतिपूर्ति प्रभावित परिवारों को क्षतिपूर्ति दी जा रही है। जो नुकसान के मुकाबले बेहद कम है। ऐसे में प्रभावितों के साथ ही विपक्षी दल व सत्ता पक्ष से भी इन मानकों में संशोधन करने की मांग उठ रही है।
आठ अप्रैल 2015 को गृह मंत्रालय भारत सरकार के उपसचिव गौतम घोष की ओर से राज्यों के मुख्य सचिव, आपदा प्रबंधन विभाग को पत्र भेजा गया था। अप्रैल 2015 से मार्च 2020 तक के लिए जारी गाइडलाइन को स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड एसडीआरएफ तथा नेशनल डिजास्टर रिस्पोंस फंड या एनडीआरएफ के लिए जारी किया गया। जिसमें 14वें केंद्रीय वित्त आयोग की ओर से गठित विशेषज्ञ कमेटी की सिफारिशों को शामिल किया गया है। गाइडलाइन के अनुसार आपदा प्रभावितों की मदद के लिए सहायता राशि तय की गई है।
यह हैं तय मानक
आपदा में मौत पर-चार लाख मुआवजा प्रति व्यक्ति।
आपदा में आंख को नुकसान या 40 से 60 फीसद दिव्यांग होने पर-59 हजार सौ रुपये मुआवजा।
आपदा में 60 फीसद से अधिक दिव्यांग होने पर-दो लाख मुआवजा।
एक सप्ताह तक अस्पताल रहने वाले प्रभावित को-प्रति व्यक्ति 12 हजार सात सौ रुपये मदद।
मकान व सामान क्षतिग्रस्त होने पर -1800 व दो हजार प्रति परिवार।
कृषि भूमि पर तीन इंच मलबा आने पर प्रति हेक्टेयर 12 हजार दो सौ रुपये राहत राशि।
नदी के कटाव से नाप कृषि भूमि को नुकसान पर प्रति हेक्टेयर 37 हजार पांच सौ रुपये मदद।
पशुओं से संबंधित नुकसान
घर से सटी गोशाला में पशु हानि पर 2100 प्रति जानवर मुआवजा।
आपदा में भैंस मरने पर 30 हजार, भेड़, सुअर, बकरी पर तीन हजार, ऊंट, घोड़े पर 25 हजार मदद।
प्रति मुर्गी मुआवजा राशि 50 रुपये।
क्षतिग्रस्त नौका की मरम्मत को 4100 रुपये, मत्स्य तालाब के जाल के नुकसान पर 2100 की मदद।
पशुपालन, डेयरी, मत्स्य विभाग, कृषि मंत्रालय की सहायता से बने मत्स्य तालाब के नुकसान पर 8200 प्रति हेक्टेयर।
प्रशासन जमीनी स्तर पर मूल्यांकन करे
पूर्व विधायक संजीव आर्य ने बताया कि आपदा में काश्तकारों की जमीन रेतीले मैदान में तब्दील हो गई है। राहत के नाम पर नौ सौ दो हजार के चेक दिए जा रहे हैं। प्रशासन को जमीनी स्तर पर मूल्यांकन करना चाहिए। आपदा राहत के मानकों में संशोधन जरूरी है। अधिशासी निदेशक, आपदा प्रबंधन, उत्तराखंड पीयूष रौतेला ने बताया कि राज्य में 2015 में भारत सरकार की ओर से जारी मानक ही प्रभावी हैं। भारत सरकार ही अब इनमें संशोधन कर सकती है।