हल्द्वानी। मूलरूप् से पिथौरागढ़ व हाल मुखानी निवासी बिष्ट परिवार पर आज ही के दिन दुखों का पहाड़ टूट गया था। 2001 में जब आतंकवादियों द्वारा संसद पर हमला किया तो इसके बाद आपरेशन पराक्रम हुआ। पाकिस्तान सीमा पर तैनात मेजर धरम सिंह इस आपरेशन में शहीद हो गए थें उनके स्वजन व पूर्व सैनिक आज उन्हें श्रद्वांजलि अर्पित कर करे हैं।
पिथौरागढ़ के सीमांत तहसील धारचूला के ग्राम पांगला व हाल मुखानी हल्द्वानी निवासी धरम सिंह का जन्म दो अप्रैल 1951 को हुआ था। इनके पिता हर सिंह बिष्ट और मां द्रोपदी देवी का जीवन हमेशा पहाड़ जैसे मुसीबतों से भरा रहा। 10वीं पास करने के बाद धरम सिंह फौज में भर्ती हुए। उनकी मेहनत व देश भक्ति के जज्बे से वह पैरा रेजिमेंट के लिए चयनित हो गए थे।
पैरा रेजिमेंट में उनकी पहचान एक अनुशासित सिपाही व पहलवान के रूप में हुई। पदोन्नति के बाद वह बटालियन में सूबेदार के बाद मेजर बने। कई आपरेशनों का हिस्सा बन चुके धरम 2002 के आपरेशन पराक्रम शुरू हुआ। इस बीच सेना को देश की सीमाओं पर तैनात कर दिया गया था।
इस आपरेशन में मेजर धरम सिंह की पलटन को पंजाब में पाकिस्तान सीमा पर भेजा गया था। आपरेशन पराक्रम में मेंजर धरम सिंह को दुश्मन की गोली लग गई। देश की रक्षा के लिए उन्होंने अपने प्राणों की आहूति दे दी। आज पूर्व सैनिक व स्वजनों की ओर से उन्हें श्रद्वांजलि अर्पित की जा रही है।