हल्द्वानी। कोरोना महामारी के इस दौर हर कोई पौष्टिक भोजन की सलाह दे रहा है। ऐसे में वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. बिनाेद जोशी बताते हैं, क्षेत्रीय आहार को बढ़ावा देने के लिए आयुष मंत्रालय ने भी गाइडलाइन जारी की है। जिससे की इम्यूनिटी बढ़े। जैविक भोजन लोगों को उपलब्ध हो सके।
उत्तराखंड में पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाला मडुवा भी बेहद लाभकारी है। यह आर्गेनिक रूप में होता है। अन्य अनाजों की अपेक्षा इसमें कैल्सियम की मात्रा सबसे अधिक होती है। आयरन, अमीनो एसिड, फॉलिस एसिड, प्रोटीन व अन्य खनिज तत्व भी मडुवे में पाए जाते हैं। हड्डियों की मजबूती के लिए भी यह बेहतर है। सबसे अच्छी बात यह है कि इसके नियमित सेवन से प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। इसे कई तरीके से खाया जा सकता है।
मडुवे के आटे को दूध में गूंथने के बाद छोटी-छोटी रोटियां बनाकर चाय व दूध के साथ सेवन कर सकते हैं।
आटे का हलवा भी बनाया जा सकता है। सबसे अच्छा है कि इसे पतली लस्सी के रूप में भी नियमित सेवन कर सकते हैं। इसे बनाने के लिए आप आधा चम्मच शुद्ध घी, एक-डेढ़ चम्मच मडुवा डालकर हल्का से भून लिया। भूनते समय उसमें आधा चम्मच हल्दी, सौंठ, अजवाइन को भी डाल दें। अगर आठ-10 बादाम व मुनक्के को भी भून सकें तो और अच्छा रहेगा। भुनने के बाद करीब आधा गिलास पानी डाल दें। इसके बाद इसे पिएं। इससे शरीर को गर्मी मिलेगी और खांसी, सर्दी, जुकाम, बुखार में भी राहत मिलेगी।