उत्तरखंड में पैरोल पर गए 250 बंदी लौटे ही नहीं, एक साल से हैं लापता

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हल्द्वानी। कुमाऊं की तीन जेलों से 90 दिन की पैरोल पर रिहा हुए 250 बंदी 354 दिन बीत जाने पर भी वापस नहीं लौटे। अब इन बंदियों पर जेल प्रशासन कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। साथ ही बंदियों से अनुरोध किया जा रहा है कि वे स्वत: लौट आएं।  

कोरोना संक्रमण की पहली लहर शुरू होने के बाद से ही पूरे देश में त्राहि-त्राहि मच गई थी। इस महामारी से हजारों लोगों ने दम तोड़ दिया। जेल में बंद कैदी और बंदी भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेकर मार्च 2021 में जेल प्रशासन को 90 दिन बंदियों को पैरोल पर छोडऩे के निर्देश दिए थे। कहा था कि ऐसे बंदी जिन्हें अधिकतम सात साल की सजा की संभावना है, उन्हें जेल में डालने की फिलहाल जरूरत नहीं है।

इसके बाद कुमाऊं की अल्मोड़ा, हल्द्वानी और सितारगंज जेल से 250 बंदियों को रिहा कर दिया गया था। 90 दिन की पैरोल अवधि खत्म होने के बाद इन बंदियों को स्वत: वापस जेल में पहुंचना था, मगर ये नहीं लौटे। अब बंदियों के वापस नहीं लौटने को लेकर जेल प्रशासन अलर्ट हो गया है। जल्द पुलिस के सहयोग से बंदियों पर कार्रवाई की जाएगी।  

अब भी जेल क्षमता से अधिक बंदी

मौजूदा समय में जेल के अंदर बंदी व सजायाफ्ता कैदियों की संख्या क्षमता से दोगुनी है। हल्द्वानी जेल की बात करें तो यहां 700 की क्षमता है। लेकिन 1639 बंदी व कैदी जेल में बंद हैं। हालांकि हाल में 200 से अधिक बंदियों को लोक अदालत में सुनवाई कर जमानत पर छोड़ दिया गया है।

हल्द्वानी से रिहा हुए थे 157 बंदी 

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हल्द्वानी जेल से 157 बंदी रिहा हुए थे। बंदियों को छोडऩे के बाद 15 दिन होम आइसोलेट किया गया था। रिहा होने के बाद कई बंदियों ने अपना कारोबार भी शुरू कर दिया था।

आइजी जेल पुष्पक ज्योति ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जेलों से बंदियों को रिहा किया गया था। बंदी वापस नहीं लौटे हैं। इस संबंध में कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।

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