नैनीताल। क्षेत्रीय भाषाओं पर पाठ्यक्रम शुरू करने की मुहिम के दूसरे चरण में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (यूओयू) ने गढ़वाली भाषा में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने की कवायद की है। सोमवार को विशेषज्ञ समिति की ऑनलाइन बैठक में पाठ्यक्रम की संरचना का प्रस्ताव लाया गया। विशेषज्ञों की राय के बाद जरूरी संशोधन के साथ इसे अध्ययन समिति को भेज दिया।
विशेषज्ञ समिति की वर्चुअल बैठक में शामिल प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने क्षेत्रीय भाषाओं पर पाठ्यक्रम शुरू करने की मुक्त विश्वविद्यालय के प्रयास की सराहना की। उन्होंने कुलपति प्रो. ओपीएस नेगी इसके लिए बधाई दी। नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण व उसे बढ़ावा देने के लिए हमने जनआंदोलन छेड़ा था। खुशी की बात है कि यूओयू भी इसमें शामिल हो गया है। उत्तराखंड की भाषा व संस्कृति के संरक्षण के लिए यह शुभ संकेत है।
विश्वविद्यालय के मानविकी विद्याशाखा के निदेशक प्रो. एचपी शुक्ल की अध्यक्षता में हुई बैठक में यूओयू के क्षेत्रीय भाषा समन्वयक डा. राकेश रयाल ने समिति के सम्मुख रखा। अध्ययन सामग्री को लिखित के साथ ऑडियो व वीडियो रूप में उपलब्ध कराने का प्रस्ताव पारित किया। बैठक में गढ़वाली साहित्य के लेखक गणेश कुकसाल, रमाकांत बेंजवाल, गिरीश सुंदरियाल व धर्मेंद्र नेगी शामिल रहे।
यह होगी सर्टिफिकेट कोर्स की विशेषता
छह माह के सर्टिफिकेट कोर्स में चार प्रश्नपत्र होंगे। इसमें गढ़वाली भाषा का परिचय, इतिहास, व्याकरण, शब्दावली, पद्य, गद्य, गढ़वाल का लोकसाहित्य एवं संस्कृति शामिल है। 12वीं परीक्षा पास अभ्यर्थी पाठ्यक्रम में प्रवेश पा सकते हैं।