उत्तराखंड में वन्यजीवों को आबादी में आने से रोकेगा ‘एनआइडर’

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उत्तराखंड में वन्यजीवों को आबादी में आने से रोकने के लिए खास उपकरण ‘एनआइडर’ का इस्तेमाल शुरू कर दिया गया है। रात को आधा किमी के दायरे में किसी भी जानवर के बाहर निकलने पर ‘एनआइडर’ तेज आवाज के साथ सायरन बजाएगा। इससे जानवर वापस जंगल को लौट जाएंगे और लोगों को भी जानवरों के मूवमेंट की जानकारी मिल जाएगी। तराई पश्चिम वन प्रभाग के डीएफओ हिमांशु बागरी ने बताया कि हाथी समेत अन्य वन्यजीवों को आबादी में आने से रोकने के लिए एनआइडर को इस्तेमाल किया जा रहा है। पांच रेंजों में पांच उपकरण आबादी से सटे जंगल में लगाए गए हैं। नतीजे बेहतर आने के बाद उपकरण बढ़ाए जाएंगे। एनआइडर का उत्तराखंड में पहली बार इस्तेमाल किया जा रहा है।

ऐसे काम करता है एनआइडर :सोलर चार्जिंग से लैस यह उपकरण शाम होते ही ऑटोमेटिक एक्टिव हो जाता है। रात में वन्यजीवों के जंगल से निकलते ही यह वन्यजीव और तेज फ्लैश करने के साथ तेज सायरन बजाएगा। जब तक जानवर का मूवमेंट यंत्र की पांच सौ मीटर रेंज से बाहर नहीं होगा, सायरन बजता रहेगा। डीएफओ ने बताया कि एनआइडर का इस्तेमाल उत्तराखंड के बाहर जंगलों पर हो चुका है, जहां बेहतर नतीजे आए हैं। यूपी, मध्य प्रदेश आदि प्रदेशों में यह उपकरण लगाए गए हैं।

कॉर्बेट में भी उपयोगी होगा एनआइडर 
कॉर्बेट पार्क से सटे दर्जनों गांव में हाथी और अन्य वन्यजीव घुसकर लोगों पर हमला कर देते हैं। फसलों को भी रौंदकर बर्बाद कर देते हैं। ऐसे में तराई पश्चिम वन प्रभाग में एनआइडर के बेहतर नतीजे आए तो कॉर्बेट नेशनल पार्क में भी इसका इस्तेमाल होगा। पार्क के रेंजर राज कुमार ने बताया कि वन्यजीवों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कई उपकरण कॉर्बेट में हैं। नतीजे को देखते हुए इस पर भी विचार होगा।वन्यजीवों को रोकने के लिए एनआइडर इस्तेमाल हो रहा है। अब तक इसे दूसरे राज्यों में इस्तेमाल किया गया है। यहां तराई पश्चिम वन प्रभाग से इसकी शुरुआत की गई है। पांच रेंजों में पांच उपकरण लगाकर हाथी समेत अन्य वन्यजीवों को आबादी में आने से रोका जाएगा।
हिमांशु बागरी, डीएफओ, तराई पश्चिम वन प्रभाग

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