नैनीताल : उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय में नियुक्त 228 अस्थाई कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है। नैनीताल हाईकोर्ट ने विधानसभा सचिवालय के बर्खास्त कर्मचारियों की अपील पर गुरुवार को सुनवाई की। मामले में कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष के बर्खास्तगी के आदेश सही ठहराते हुए एकलपीठ के बर्खास्तगी के आदेश पर रोक को गलत ठहराया। जिसके बाद अब अस्थायी कर्मचारी बर्खास्त ही माने जाएंगे।
एकलपीठ ने बर्खास्तगी आदेश पर लगा दी थी रोक
- विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने पूर्व प्रमुख सचिव डीके कोटिया की अध्यक्षता में बनाई समिति की सिफारिशों के आधार पर 228 कर्मचारियों को बर्खास्त किया था।
- बीते अक्टूबर माह में नैनीताल हाईकोर्ट ने विधानसभा सचिवालय के 228 कर्मचारियों की 27, 28 व 29 सितंबर को जारी बर्खास्तगी के आदेश पर रोक लगा दी थी।
- न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने अस्थाई कर्मचारियों को सुनवाई का मौका न देने पर नाराजगी जताई थी।
- बर्खास्तगी आदेश के विरुद्ध 55 से अधिक कर्मचारियों की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
याचिकाकताओं की ये थी दलील
- याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष ने लोकहित को देखते हुए उनकी सेवाएं समाप्त कर दीं।
- बर्खास्तगी आदेश में उन्हें किस आधार पर किस कारण से हटाया गया, कहीं इसका उल्लेख नहीं किया गया, न ही उनका पक्ष सुना गया।
- एक साथ इतने कर्मचारियों को बर्खास्त करना लोकहित नहीं है। यह आदेश विधि विरुद्ध है।
- विधान सभा सचिवालय में 396 पदों पर बैकडोर नियुक्तियां 2002 से 2015 के बीच भी हुई हैं, जिनको नियमित किया जा चुका है।
- याचिका में कहा गया है कि 2014 तक हुई तदर्थ रूप से नियुक्त कर्मचारियों को चार वर्ष से कम की सेवा में नियमित नियुक्ति दे दी गई ।
- जबकि याचिकाकर्ताओं को छह वर्ष के बाद भी स्थायी नहीं किया गया और अब उन्हें हटा दिया गया।
- पूर्व में भी उनकी नियुक्ति को जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी गयी थी, जिसमें कोर्ट ने उनके हित में आदेश दिया था।
- याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि नियमानुसार छह माह की नियमित सेवा करने के बाद उन्हें नियमित किया जाना था।