उत्तराखंड में सरकार की लाख कोशिशें के बावजूद भी पर्वतीय जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। अस्पतालों में इलाज तो दूर की बात है एंबुलेंस सेवाओं के लिए भी मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। ऐसा ही एक नया मामला नैनीताल जिले में सोमवार को सामने आया। एंबुलेंस सेवा 108 की लापरवाही के कारण रामगढ़ क्षेत्र में गर्भस्थ शिशु ने अपनी मां के गर्भ में ही दम तोड़ दिया।
परिजन किसी तरह पीड़िता को अस्पताल लेकर पहुंचे जहां डॉक्टरों ने बमुश्किल उसकी जान बचाई। वहीं ओखलकांडा ब्लॉक में समय पर उपचार नहीं मिलने से एक युवक ने दम तोड़ दिया। ऐसे में उत्तराखंड में उम्दा स्वास्थ्य सेवाएं देने का सरकार के दावे साफतौर से हवाई साबित हो रहे हैं।
रामगढ़ के हरिनगर क्षेत्र की रहने वाली तारा को रविवार रात करीब नौ बजे प्रसव पीड़ा शुरू हुई। पति दीपक चंद्र ने मदद के लिए 108 एंबुलेंस सेवा को फोन किया। उन्हें बताया गया कि एक घंटे के भीतर एंबुलेंस पहुंच रही है। दीपक चंद्र के अनुसार, एक घंटे बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची तो उन्होंने दोबारा फोन किया। इस बार बताया गया कि एंबुलेंस नहीं आ रही है।
उसका टायर पंक्चर हो गया है। इसके बाद दीपक चंद्र ने किसी तरह निजी वाहन का इंतजाम कर पत्नी को रामगढ़ स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ.गौरव कांडपाल ने बताया कि जब प्रसूता को लाया गया, गर्भस्थ शिशु मां के पेट की नाल में बुरी तरह से फंसा हुआ था।
समय से इलाज नहीं मिलने से उसकी मृत्यु हो गई। हालांकि अब प्रसूता की तबीयत ठीक है। परिजनों ने मामले की शिकायत मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल पर दर्ज करवाई है। उधर, ओखलकांडा ब्लॉक के कुकना गांव में रविवार शाम शेखर चंद्र (35) को अचानक उल्टी और दस्त हुए।
ग्राम प्रधान उमा देवी ने बताया कि गांव से मीलों दूर तक अस्पताल तो दूर प्राथमिक उपचार की कोई सुविधा नहीं है। शेखर चंद्र की तबीयत बिगड़ने पर कुछ युवकों को 10 किमी पैदल रास्ता तय कर दवा लाने ढोलीगांव भेजा गया। लेकिन दवा आने से पहले से उसने दम तोड़ दिया।
रामगढ़ का मामला संज्ञान में आया है। उसकी जांच कराई जा रही है। कुकना गांव में युवक की मौत की जानकारी नहीं है।
डॉ. भागीरथी जोशी, सीएमओ