एसटीएच में 12 घंटे डक्ट में फंसी प्रसव के लिए आई महिला, मचा हड़कंप

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प्रतीकात्मक तस्वीरहल्द्वानी। सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच) में प्रसव के लिए आई अल्मोड़ा की महिला 12 घंटे तक डक्ट (भवन के बीच में पाइप आदि को ले जाने का लिए स्थान) में फंसी रही। महिला के वार्ड में न पहुंचने से हड़कंप मच गया। परिजन पूरी रात उसे खोजते रहे। नवजात को भी परिजनों ने संभाला।

अल्मोड़ा के धौलोदवी ब्लाक के बमन सुयाल निवासी जानकी देवी (35) को सुशीला तिवारी अस्पताल में प्रसव पीड़ा के चलते 19 दिसंबर को स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में भर्ती कराया गया था। जानकी के पति त्रिलोक राम ने बताया 20 दिसंबर शुक्रवार को ऑपरेशन के बाद पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया। प्रसव होने के बाद उसे महिला वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था।

यह वार्ड प्रथम तल पर है। त्रिलोक ने बताया कि रविवार की रात को वार्ड से गार्डों ने उन्हें बाहर कर दिया। रात को जानकी शौचालय गई थी। शौचालय से लौटने के बाद वह वापस बेड पर नहीं पहुंची। बच्चे के रोने पर डॉक्टर और स्टाफ ने जानकी को खोजना शुरू किया। पत्नी के गायब होने की जानकारी मिलने पर उन्होंने बच्चों को संभालने के साथ जानकी की तलाश की लेकिन वह नहीं मिली।

त्रिलोक के अनुसार जानकी प्रथम तल से गिरकर बेसमेंट में पहुंच गई थी। उसके घुटने में चोट आई है। वह पूरी रात गायब रही। सुबह एक रिक्शा चालक बेसमेंट से कूड़ा उठाने आया तो जानकी ने उसे आवाज दी, किंतु वह वहां से भाग गया। रिक्शा चालक ने जब लोगों को बताया तो कुछ पर्यावरण मित्रों ने उसे बेसमेंट से निकाला। इधर, जानकी देवी का कहना है कि उसे कुछ याद नहीं है कोई मेरा मुंह दबाकर नीचे ले गया।

महिला रास्ता भटक गई थी और सोमवार सुबह मिल गई। महिला डक्ट में फंसी होती तो उसे कहीं चोट लगती। उसके शरीर पर एक भी खरोंच नहीं है। अस्पताल की सभी डक्ट बंद कराई जा चुकी हैं।
-डॉ. सीपी भैसोड़ा, प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कालेज

डेढ़ वर्ष पहले भी गिरी थी 70 वर्षीय महिला

डेढ़ वर्ष पहले एक महिला सुशीला तिवारी अस्पताल में डक्ट में गिरने के बाद फंस गई थी और उसे चोट लगी थी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अस्पताल में कार्यरत एक टेक्नीशियन की 70 वर्षीय सास की आंख का ऑपरेशन हुआ था। उसे आई वार्ड में रखा गया था। वृद्धा रात में शौचालय के लिए गई थी और डक्ट में गिर गई थी। डक्ट में गिरने के बाद बीच में फंस गई थी और उसको हल्की चोटें आई थीं। अस्पताल के लोगों ने ही वृद्धा को डक्ट से निकाला था।

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