नैनीतला। संवाददाता। कॉर्बेट बाघ रिज़र्व के ढिकाला रेंज में एक आदमखोर बाघ आतंक का पर्याय बना हुआ है। यह बाघ अब तक दो वनकर्मियों का शिकार कर चुका है। इसे पकड़ने की कोशिशें की जा रही हैं लेकिन कॉर्बेट की परिस्थितियां इसे मुश्किल बना रही हैं। इसे पकड़ने के बाद इस पर रेडियो कॉलर लगाने की योजना है और अगर ऐसा होता है तो यह किसी बाघ पर रेडियो कॉलर लगाने का पहला मामला होगा।
आसान नहीं आदमखोर को पकड़ना
कॉर्बेट बाघ रिज़र्व में आदमखोर हो चुके बाघ को ट्रेंक्यूलाइज़ कर पकड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस बाघ को पकडने के बाद इसका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। अगर यह बाघ स्वस्थ पाया गया तो राज्य में पहली बार किसी बाघ में रेडियो कॉलर लगाया जाएगा ताकि इसकी लोकेशन का पता चलता रहे।
आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाते वनकर्मी। आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाते वनकर्मी।
हालांकि इस बाघ को पकडना आसान काम नहीं है क्योंकि यह ढिकाला में ग्रासलैण्ड के आस-पास रहता है। यहां हाथी से ऊंची घास है और बहुत ऊंची-ऊंची झाडियां भी। इसकी वजह से इसे पकड़ने में कुछ वक्त लग सकता है। हांलाकि इसे पकडने के लिए चार टीमें हाथियों पर सवार तैनात हैं और एक टीम ज़मीन पर काम कर ही है।