नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय में अध्ययन करने वाले छात्र अपराधियों के मनोविज्ञान की पढ़ाई करेंगे। मनोविज्ञान समझने के साथ ही उसके उपचार के तौर तरीके भी समझेंगे। उत्तराखंड में पहली बार कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर में क्रिमिनोलॉजी का पाठ्यक्रम शुरू हो चुका है।
आपराधिक मामलों में किशोर, किशोरियों की संलिप्तता के मामले बढ़ रहे हैं। चोरी व ड्रग्स के केस हों या अन्य सामाजिक बुराई या कुरीतियों में, बच्चों के शामिल होने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। बच्चे चोरी, डकैती, महिला अपराध में शामिल होते हैं मगर उन्हें यह जानकारी नहीं होती कि उन्होंने यह क्यों किया। बड़े अपराधी बच्चों को मोहरा बनाकर आपराधिक साजिश को अंजाम देते हैं। अमेरिका, ब्रिटेन समेत दुनियां के तमाम देशों में क्रिमिनोलॉजी पाठ्यक्रम को लेकर दिलचस्पी बढ़ रही है और कोर्स लोकप्रिय भी हो रहे हैं। भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से गुजरात में फोरेंसिक साइंस की यूनिवर्सिटी बनाई गई है। देश के अन्य राज्यों के सरकारी व प्राइवेट यूनिवर्सिटी में भी क्रिमिनोलॉजी कोर्स तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
जुलाई से शुरू होगा कोर्स
आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोग किस मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर अपराध को अंजाम देते हैं, क्रिमिनोलॉजी में यह पढ़ाया जाएगा। इस मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण को कैसे बदला जाए, यह तरीका कोर्स में शामिल किया गया है, जो तैयार हो चुका है। बायो मेडिकल फेकल्टी के डीन प्रो सतपाल सिंह बिष्ट कहते हैं कि क्रिमिनोलॉजी, फोरेंसिक साइंस आज की जरूरत है। उत्तराखंड में अब तक किसी विश्वविद्यालय में यह कोर्स नहीं पढ़ाया जाता। कुमाऊं विवि में दो साल की कवायद के बाद यह कोर्स शुरू होगा।