कुमाऊं विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में प्रवेश लेने के लिए अजीब नियमों से छात्र परेशान

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हल्द्वानी :कुमाऊं विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में प्रवेश लेने के अजीब नियमों से विद्यार्थी हैरान हैं। विद्यार्थियों को प्रथम वर्ष में प्रवेश के लिए दो बार ऑनलाइन फार्म भरने के बाद तीसरी बार हार्डकॉपी भी जमा करनी होगी। इस तरह के नियमों को लेकर विद्यार्थी संगठनों ने भी आपत्ति जताई है। अगर किसी विद्यार्थी को एमबीपीजी कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष में प्रवेश लेना है तो सबसे पहले उसे कुमाऊं विश्वविद्यालय की वेबसाइट में पंजीकरण करना होगा। साथ में 50 रुपये शुल्क भी जमा होगा। इसके बाद विवि विद्यार्थियों का यह डाटा कॉलेज को भेज देगा।

इसके बावजूद एमबीपीजी कॉलेज में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी को कॉलेज की वेबसाइट में फार्म भरना होगा। पूरा विवरण देना होगा। विवि में ऑनलाइन आवेदन का सबूत यानी 50 रुपये की रसीद भी लगानी होगी। इस प्रक्रिया के बाद कॉलेज मेरिट लिस्ट बनाएगा। जिन विद्यार्थियों का नाम मेरिट लिस्ट में आएगा। उन्हें फिर से सभी डॉक्यूमेंट की हार्ड कॉपी जमा करनी होगी। कॉलेज से मिले लिंक पर वह फीस ऑनलाइन जमा करेगा। तब विद्यार्थी बीए प्रथम वर्ष में प्रवेश पा सकेगा। इसी तरह बीएससी व बीकॉम प्रथम वर्ष की प्रक्रिया है।

दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यार्थियों के लिए मुसीबत

एमबीपीजी कॉलेज में प्रवेश के लिए दूरदराज से भी विद्यार्थी पहुंचते हैं। दूरस्थ क्षेत्रों में साइबर कैफे आदि की सुविधा नहीं रहती। इसलिए उन्हें हल्द्वानी के ही साइबर कैफे से ऑनलाइन फॉर्म भरवाना होता है। बार-बार इस तरह की प्रक्रिया से न केवल अधिक खर्च वहन करना पड़ता है, बल्कि समय भी बर्बाद होता है।

कुमाऊं विश्वविद्यालय से लेकर एमबीपीजी कॉलेज को विद्यार्थियों के हित में सोचना चाहिए। बार-बार फार्म भरने के मनमाने नियमों से विद्यार्थियों को मुसीबत झेलनी पड़ रही है।

विशाल भोजक, जिलाध्यक्ष, एनएसयूआइ

विद्यार्थियों के लिए एक ही बार ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया होनी चाहिए। इसके लिए कुमाऊं विवि व महाविद्यालयों में समन्वय जरूरी है। इससे विद्यार्थियों को राहत मिलेगी।

अंकित तोलिया, पूर्व उपसचिव, छात्रसंघ एमबीपीजी

प्रवेश के लिए कुमाऊं विश्वविद्यालय की वेबसाइट है। विद्यार्थियों को इसी में पंजीकरण करना होता है। इसके बाद सभी छात्र-छात्राओं का डाटा संबंधित कॉलेजों में भेजा जाता है। कॉलेज मेरिट के आधार पर प्रवेश करते हैं। दो बार पंजीकरण की जरूरत नहीं होनी चाहिए।

दिनेश चंद्रा, कुलसचिव, कुमाऊं विवि, नैनीताल

विद्यार्थी पहले प्रथम वर्ष में प्रवेश के लिए पहले विश्वविद्यालय की वेबसाइट में पंजीकरण करता है। फिर विवि से डाटा हमें मिलता है। बाद में हमारी वेबसाइट में फार्म भरने से ही मेरिट बनाई जाती है। विवि मेरिट बनाकर दे दे तो बच्चों को दोबारा फार्म नहीं भरना पड़ेगा।

प्रो. बीआर पंत, प्राचार्य, एमबीपीजी कॉलेज, हल्द्वानी

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