खौफनाक तस्वीरें बयां करती उत्तराखंड का दर्द,वीडियो में देखें पानी के बीच तैरती जिंदगियां

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पूरे उत्तराखंड में पानी ने हाहाकार मचा हुआ है जिससे रामनगर से 30 किलोमीटर दूर चुकून गांव भी नहीं छूटा है और चुकुम गांव तो एक ऐसा गांव है जिसका संपर्क मुख्य रामनगर और जिला मुख्यालय से पूरी बरसात कटा रहता है स्थिति इतनी भयानक होती है कि अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना इन लोगों को एक मोटर बोट ,नाउ और पानी के जहाज की तरह पानी में हिचकोले खाते हुए नदी को पार करना पड़ता है नदी की भयंकर लहरों में नदी पार करते समय यह पूरा डूब जाते हैं लेकिन इन्हें हर रोज यूं ही खतरों से जिंदगी की जंग जितनी पड़ती है.

इस नदी को पार करने में इतना जोखिम है कि आप खुद तस्वीरों से इनकी जिंदगी के संघर्ष को देख सकते हैं इनका दर्द और संघर्ष बयां करने के लिए इन तस्वीरों से ज्यादा कुछ भी नहीं बाढ़ के पानी में किस तरह अपनी जिंदगी को खतरे में डालकर आवाजाही करते हैं चुकुम गांव के निवासी.
– क्षेत्रीय ग्रामीण

इस बाढ़ के भयंकर पानी के बीच में आपको जो जिंदगी तैरती हुई दिखाई दे रही है यह है डिजिटल भारत और उत्तराखंड राज्य की खौफनाक तस्वीरें जो अपने आप में एक दर्द बयां कर रही है इन तस्वीरों को जब गौर से देखेंगे तो आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे आप अपनी टीवी स्क्रीन के सामने एक बार जरूर सोचने को मजबूर हो जाओगे कि आज भी भारत और उत्तराखंड राज्य के अंदर बदहाल स्थिति में यहां के लोग जीवन यापन कर रहे हैं ….

– संजय नेगी जनप्रतिनिधि

भारत की आजादी को इतना समय बीत जाने के बाद और उत्तराखंड राज्य बनने और इतना समय बीतने के बाद कांग्रेस और भाजपा ने लगातार उत्तराखंड में शासन किया लेकिन किसी भी सरकार के विधायक , नेता , मंत्री सांसद सिर्फ और सिर्फ उत्तराखंड के दुर्गम क्षेत्रों में वोट मांगने पहुंचे उसके सिवा इन दुर्गम और आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में आज तक कोई भी सुविधा नहीं और प्रशासनिक अधिकारी जिम्मेदार पदों पर बैठे मलाईदार विभागों के अधिकारी तो इन क्षेत्रों के बारे में शायद जानते भी ना हो कि हमारे उत्तराखंड राज्य में कई स्थान ऐसे भी है जहां की तस्वीरें नरेंद्र मोदी भारत सरकार के डिजिटल इंडिया की पोल खोलती है यह हम नहीं कह रहे हैं यह तस्वीरें बयां कर रही है कि भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार के जिम्मेदार अधिकारी ही अपनी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं और यह तस्वीरें बयां करती है कि उत्तराखंड में आज भी दर्जनों ऐसे गांव और कस्बे है जिनका संपर्क बाढ़ के समय मुख्यालय से या फिर बाजारों से कट जाता है .. ..

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