नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में गंगा किनारे मांस बिक्री के मामले में अहम निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने उत्तरकाशी में गंगा तट से 500 मीटर दायरे में मांस की दुकानें खोलने व मांस बेचने पर प्रतिबंध को सही ठहराया है।
जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी ने दुकानदार को नोटिस देकर दुकान शिफ्ट करने को कहा था। इसी मामले में दुकानदार कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने फैसले के दौरान इस मामले में यह भी कहा है कि जिला पंचायत व निकायों को नियम बनाने का अधिकार है।
न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि मामले में मटन की दुकान चलाने के लिए जिला पंचायत या जिला मजिस्ट्रेट से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना अनिवार्य है।
यह था मामला
उत्तरकाशी निवासी नावीद कुरैशी ने याचिका दायर कर कहा है कि वह हिना गांव, थाना मनेरी का निवासी है। जिला पंचायत से लाइसेंस लेकर 2006 से 2015 तक किराए के मकान में मटन की दुकान चला रहा है। फिर 2016 में भूमिधरी होने की वजह से अपनी दुकान बनाकर मटन का कारोबार किया।
2016 में उत्तरकाशी जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी ने नोटिस देकर सात दिन के भीतर गंगा तट से 105 मीटर दूर होने के आधार पर दुकान स्थानांतरित करने को कहा। इस नोटिस को याचिका के माध्यम से चुनौती दी।
इस आधार पर कोर्ट में दी चुनौती
नावेद का कहना था कि खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 के तहत उसे लाइसेंस प्राप्त है। जिला पंचायत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
जिला पंचायत की ओर से उप-नियम बनाकर यह निर्णय लिया गया है कि गंगा नदी के किनारे से 500 मीटर के भीतर जानवरों को काटने और मांस बेचने की कोई दुकान नहीं संचालित की जाएगी।
हाईकोर्ट का फैसला
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जिला पंचायत को उप नियम बनाने का अधिकार है।
न्यायालय का मत है कि जिला मजिस्ट्रेट उत्तरकाशी ने गंगा नदी के किनारे से 500 मीटर के भीतर मटन की दुकान चलाने के लिए याचिकाकर्ता को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं करके कोई गलती नहीं की है।