हल्द्वानी। मिली-जुली आबादी के शहर हल्द्वानी में रविवार दोपहर हिंदू-मुस्लिम एकता की मिशाल देखने को मिली। बहेड़ी निवासी एक व्यक्ति की सुशीला तिवारी में कोरोना से मौत होने पर बनभूलपुरा के लाइन नंबर आठ निवासी पांच लोग मदद को आगे आए। मुस्लिम समाज के एक युवक द्वारा चिता को मुखाग्नि दी गई। वहीं, मृतक के छोटे भाई ने भी लिखित में दिया था कि शव इन्हीं लोगों के सुपुर्द किया जाए।
बहेड़ी बरेली के मंगलपुर निवासी 40 वर्षीय पंकज गंगवार दस दिन पहले कोरोना की चपेट में आ गए थे। जिसके बाद उन्हें उपचार के लिए हल्द्वानी लाया गया। शहर में पहचान नहीं होने पर स्वजनों द्वारा लाइन नंबर आठ निवासी रइसुल हुसैन को फोन कर मदद करने को कहा। जिसके बाद रइसुल ने एसटीएच प्रशासन से वार्ता कर पंकज को कोविड वार्ड में भर्ती करा दिया। वहीं, 28 अप्रैल को उसने दम तोड़ दिया। जिसके बाद मृतक के छोटे भाई गजेंद्र ने अंत्येष्टि में सहयोग करने के लिए दोबारा सहयोग मांगा। लेकिन उसी दिन दोपहर में रइसुल की मौसी की बेटी का इंतकाल होने के कारण शाम तक का वक्त कब्रिस्तान में लग गया। अंधेरे होने की वजह से अगले दिन अंत्येष्टि का निर्णय लिया गया। जिस वजह से गजेंद्र घर चला गया। वहां परिवार के अन्य सदस्य की तबीयत खराब होने पर उसने रइसुल को फोन कर कहा कि मौजूदा स्थिति में वो लोग आने में असमर्थ है।
इसलिए अंतिम संस्कार भी उनके द्वारा कर दिया जाए। साथियों संग बात करने पर लाइन नंबर आठ निवासी मोहम्मद शादाब, मो. मौसीन, इकरार हुसैन व मो. उस्मान भी रविवार दोपहर मदद को आगे आए। जिसके बाद राजपुरा स्थित मुक्तिधाम घाट पर पंकज का अंतिम संस्कार किया गया। पीपीइ किट पहन इकरार हुसैन ने चिता को मुखाग्नि दी। जबकि लकड़ी व अन्य चीजों की व्यवस्था मुक्तिधाम समिति के जायदाद मंत्री रामबाबू जायसवाल व दशांक्ष सेवा समिति द्वारा की गई।
भाई ने पुलिस को लिखकर दिया
बहेड़ी निवासी मृतक के छोटे भाई गजेंद्र ने मेडिकल चौकी को लिखित में दिया कि पूर्व परिचय नहीं होने के बावजूद रइसुल हसन द्वारा उपचार के दौरान काफी मदद की गई। इसलिए मैं चाहता हूं कि अंत्येष्टि के लिए भी शव इनके सुपुर्द कर दिया जाए।
डेथ सर्टिफिकेट के पैसे नहीं लूंगा
मुक्तिधाम में पंकज के शव को मुखाग्नि देने वाले इकरार तहसील परिसर में मृत्यु प्रमाण पत्र आदि बनाने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए। संक्रमित की मौत के बाद परिवार के सदस्यों से डेथ सर्टिफिकेट बनाने के कोई पैसे उनके द्वारा नहीं लिए जाएंगे।