हल्द्वानी : दो लोगों की जान लेने वाला फतेहपुर रेंज का हमलावर बाघ अब भी पहेली बना हुआ है। सोमवार को पांचवें दिन भी वन विभाग की टीम जंगल में जुटी हुई थी। ट्रैंकुलाइन गन के साथ चिकित्सकों की टीम भी इस दौरान मौजूद रही। मगर चुनौती कम होने का नाम नहीं ले रही। क्योंकि, बाघ सामने छोडिय़े, अभी तक ट्रेप कैमरों तक में नजर नहीं आया। हरा रोज वनकर्मी जंगल में घूमकर 50 कैमरों को खंगालने में जुटे हैं।
फतेहपुर रेंज इन दिनों वन्यजीवों के आतंक के लिए चर्चाओं में है। पिछले साल दिसंबर से यह सिलसिला शुरू हुआ। जबकि इससे पहले वन्यजीवों का यहां ज्यादा आतंक देखने को नहीं मिला। दिसंबर में दमुवाढूंगा के युवक और जनवरी मेें ब्यूराखाम टंगर निवासी महिला को गुलदार ने मौत के घाट उतारा था। जबकि जनवरी और फरवरी में बाघ के हमले में दो लोगों की जान चली गई। पिछले तीन महीने में दो महिला और दो पुरुष बाघ-गुलदार के हमले में जान गंवा चुके हैं।
पिछले सोमवार को पनियाली निवासी जानकी देवी की मौत के बाद वन विभाग भी सक्रिय हुआ। इसके पीछे ग्रामीणों का आक्रोश बड़ी वजह थी। अब पिछले पांच दिन से वनकर्मी जंगल में हमलावर बाघ को तलाशने में जुटे हैं। ताकि उसे टंैकुलाइज किया जा सके। मगर अभी तक कोई सुराग नहीं लगा। रेंजर केएल आर्य ने बताया कि अलग-अलग टीमें लगातार गश्त में जुटी है। हालांकि, घने जंगल में बाघ को तलाशना सबसे बड़ी चुनौती है।