नैनीताल। कोरोना काल में निजी स्कूलों में फीस वसूली मामले में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि छठी से आठवीं और 9वीं-11वीं के विद्यार्थियों से फीस लेने का आदेश जारी कर दिया गया है। सरकार ने बताया कि कोरोना काल के दौरान इन कक्षाओं के बच्चों से केवल ट्यूशन फीस लेने का आदेश दिया गया था।
इस पर कोर्ट ने सरकार के फैसले पर सहमति जताते हुए याचिकाओं को निस्तारित कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष ऊधमसिंह नगर इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई हुई।
एसोसिएशन ने याचिका में कहा था कि राज्य सरकार ने 22 जून 2020 को एक आदेश जारी कर कहा था कि लॉकडाउन के दौरान फीस के लिए प्राइवेट स्कूल किसी भी बच्चे का नाम नहीं काटेंगे। उनसे ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस नहीं लेंगे, जिसे निजी स्कूलों ने स्वीकार भी किया।
पहली सितंबर 2020 को सीबीएसई ने स्पोर्ट्स फीस के 10 हजार, टीचर ट्रेनिंग फीस के 10 हजार और प्रत्येक बच्चे के रजिस्ट्रेशन के 300 रुपये बोर्ड में चार नवंबर से पहले जमा करने के आदेश दिए।
इस आदेश में यह भी कहा गया कि यदि चार नवंबर तक इसका भुगतान नहीं किया जाता है, तो 2000 हजार रुपये प्रत्येक बच्चे के हिसाब से पेनाल्टी देनी होगी। इसे एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए थे।
प्रदेश में कोविड 19 की वजह से बंद स्कूलों की कुछ कक्षाओं के भौतिक रूप से शुरू होने की तिथि से अभिभावकों को पूरी फीस जमा करानी होगी। जबकि लॉकडाउन की अवधि की मात्र ट्यूशन फीस जमा कराई जाएगी। शासन ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।
पिछले दिनों शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम की ओर से शिक्षा महानिदेशक को जारी आदेश में कहा गया था कि शासन ने कक्षा छह से आठ एवं 9 से 11 की कक्षाओं को आठ फरवरी 2021 से खोलने की अनुमति कुछ शर्तों के साथ दी थी।
ऐसे में इन कक्षाओं के भौतिक रूप से शुरू होने की तिथि से पूरी फीस जमा करनी होगी। जबकि लॉकडाउन की अवधि की मात्र ट्यूशन फीस जमा कराई जाएगी। वहीं, 10वीं और 12वीं की कक्षाएं पहले से भौतिक रूप से चल रही हैं, इसलिए उनके छात्रों से भी पूरी फीस ली जाएगी।